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Published: Nov 06, 2019 09:56 AM IST

देशमहाराष्ट्र दंगल: शिवसेना के लिखित आश्वासन वाली बात पर बीजेपी का इंकार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुंबई, महाराष्ट्र की राजनीती में रोज एक नए नए मोड़ आ रहे हैं. जहाँ चुनाव हुए 13 दिन बीत चुके हैं और विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने में भी महज तीन दिन बचे हैं, मगर अब तक सरकार गठन पर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है. शिवसेना-बीजेपी ने जहाँ एक साथ चुनाव लड़ा था लेकिन 24 अक्टूबर को आए नतीजों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका और बीजेपी 105 सीटों पर सिमट गई थी. वहीं शिवसेना भी 56 सीटें ही जीत पायी। हालाँकि दोनों दलों के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त विधायक हैं, लेकिन दोनों ही दल 50-50 फॉर्मूले की अलग अलग व्याख्या देकर अपना मत व्यक्त कर रहे हैं. उधर मुलाकातों के दौर भी चल पड़े हैं।   

50-50 वाले फॉर्मूले पर बीजेपी जहाँ अपना रुख नरम कर रही है लेकिन मुख़्यमंत्री पद को लेकर किसी भी समझौते के मूड में नहीं है.वहीँ शिवसेना भी अपनी जिद पर कायम है. जहाँ उनका कहना है कि राज्य में 50-50 फॉर्मूले के तहत ढाई-ढाई साल के लिए दोनों पार्टियों का मुख्यमंत्री हो. वहीँ बीजेपी इस बात पर तो सहमत है कि मंत्रालय में शिवसेना की हिस्सेदारी पचास फीसदी हो, मगर पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री और गृहमंत्री बीजेपी का ही होगा. बीजेपी ने ये भी प्रस्ताव दिया कि PWD, हाउसिंग और राजस्व विभाग जैसे अहम मंत्रालय 50-50 फॉर्मूले के तहत बांटे जा सकते हैं. 

लेकिन शिवसेना किसी भी तरह इस बंटवारे को तैयार नहीं है और साथ ही वह  सत्ता की भागीदारी पर बीजेपी से लिखित आश्वासन चाहती है. बीजेपी की बैठक के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने साफ कहा कि उनकी पार्टी इस बात पर अडिग है कि बीजेपी सत्ता की भागीदारी पर लिखित रूप में भरोसा दिलाए और ढाई-ढाई साल में सीएम बदला जाए. उधर बीजेपी ने कोई लिखित आश्वासन देने से साफ़ इनकार कर दिया है. इन सब रेलमपेल में केंद्रीय मंत्री और एनडीए के सहयोगी रामदास आठवले का कहना है कि शिवसेना को यह प्रस्ताव कबूल करना चाहिए और अपना रुख बदलना चाहिए. लेकिन उन्हें शिवसेना की तरफ से  कोई प्रतिसाद नहीं दिया जा रहा है. 

जहाँ एक तरफ बीजेपी अब थोड़ा नरम रुख अपना रही है और वह अपने प्रस्ताव से शिवसेना को अवगत करा चुकी है वहीँ शिवसेना अब भी सख्त रुख अपना रखा है. अब ये दोनों ही नागपुर की तरफ देख रहे हैं. जहाँ मोहन भगवत और नितिन गडकरी भी इस पहेली का उत्तर ढूँढ़ते दिखाई दे रहे हैं।