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Published: Oct 04, 2021 04:34 PM IST

Lakhimpur Khiri Violenceसुप्रीम कोर्ट का किसान संगठनों को फटकार, कहा- शांतिपूर्ण आंदोलन करने की बात वाले हिंसा के बाद जिम्मेदारी नहीं लेते

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को फटकार लगाई है। लखीमपुर में हुई घटना को लेकर दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, “जो प्रदर्शनकारी कहते हैं कि, वह शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन करेंगे। लेकिन, जब ऐसी हिंसक घटना होती है तो कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता। सब भाग जाते हैं।” 

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने यह तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में एक किसान संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यहां जंतर मंतर पर ‘सत्याग्रह’ करने की अनुमति देने का प्राधिकारियां को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। 

ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आंदोलन पर रोक जरुरी 

इस मामले पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई मामला जब सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के समक्ष होता है, तो उसी मुद्दे को लेकर कोई भी सड़क पर नहीं उतर सकता। वहीं अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने रविवार की लखीमपुर खीरी घटना में मारे गए आठ लोगों का जिक्र करते हुए भविष्य में ऐसी घटना न हो इसके लिए आन्दोलन पर रोक लगाने की मांग की है।

कानून लागू नहीं तो आंदोलन क्यों हो रहा?

अदालत ने इसी के साथ चल रहे आन्दोलनों को बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी गई है, तो किसान संगठन किसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “कानूनों की वैधता को न्यायालय में चुनौती देने के बाद ऐसे विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही कहां उठता है।”

कृषि संगठनों को अदालत ने भेजा नोटिस 

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को 40 से अधिक किसान संगठनों और राकेश टिकैत, दर्शन पाल तथा गुरनाम सिंह सहित विभिन्न नेताओं को हरियाणा सरकार के उस आवेदन पर नोटिस जारी किये जिसमें आरोप लगाया गया है कि वे दिल्ली की सीमाओं पर सड़कों की नाकेबंदी का मुद्दा हल के लिए राज्य पैनल के साथ बातचीत में शामिल नहीं हो रहे हैं।