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Published: Apr 03, 2024 09:21 AM IST

Saree Cancerक्या साड़ी पहनने से होता है कैंसर, जानिए किन कपड़ों को पहनना है सेहत के लिए नुकसानदायक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कैसे होता है साड़ी कैंसर (सोशल मीडिया)

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: कैंसर, दुनिया में फैल रही गंभीर बीमारियों से एक है तो वहीं पर इस बीमारी का असर इंसान को खोखला कर देता है। कैंसर (Cancer) के पनपने के कई कारण हो सकते है लेकिन भारतीय परिधानों में से एक साड़ी (Saree Cancer)कैंसर जैसी बीमारी को पनपने के लिए जिम्मेदार हो सकताी है। इसका खुलासा रिपोर्ट में हो चुका है कि, साड़ी पहनने के तरीके में गड़बड़ी हो तो कैंसर की बीमारी को जन्म देती है।

जानिए कैसे होता है साड़ी कैंसर

भारत में सबसे ज्यादा पहने जाने वाले परिधानों में साड़ी है जिसे देश के कई हिस्सों में महिलाएं किसी ना किसी तरीके से पहनती है। इसे साल के 12 महीने और हफ्ते के सातों दिन पहना जाता है। साड़ी लपेटने से पहले सूती पेटीकोट को सूती धागे से कमर पर कस कर बांधा जाता है जो साड़ी को जमा कर रखती है। लेकिन इसे खतरनाक बताते हुए PSRI अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ विवेक गुप्ता कहते है कि, अगर इस पारंपरिक परिधान को कोई महिला लंबे समय तक पहनती है तो उनकी कमर पर रगड़ लगने लगती है, जिससे वहां की त्वचा छिलने लगती है और काली पड़ने लगती है. बार बार छिलने और रिपेयर के इस चक्र में ही कैंसर की शुरुआत हो सकती है। साड़ी पहनने से एक हिस्से में टाइटनेस और गर्मी कैंसर के कारण बनते है।

68 साल की महिला में पाया कैंसर

इस कैंसर को लेकर रिसर्च हो चुकी है इसमें महिलाओं को होने वाले कुल कैंसर में से 1 प्रतिशत मामले ऐसे है जिसमें साड़ी कैंसर मिलता है। इसे मेडिकल भाषा में Squamous cell carcinoma (SCC) कहा जाता है तो वहीं पर इस पुष्टि भी की गई है। इसे लेकर मुंबई के एक अस्पताल में रिसर्च की गई थी जिसमें साड़ी की जगह धोती को शामिल किया गया। इसमें डॉक्टरों ने पुष्टि करते हुए कहा था कि कैंसर पनपता है। इसे लेकर जब वहां एक केस आया जिसमें 68 साल की एक महिला में साड़ी कैंसर पाया गया,ये महिला 13 साल की उम्र से साड़ी पहन रही थी।

पुरुषों में होता है ये कैंसर

महिलाओं को साड़ी से कैंसर हो सकता है तो वहीं पर पुरुषों को टाइट जींस पहनने से कैंसर होने की गुंजाइश होती है रिसर्च के मुताबिक जींस पुरुषों में निचले हिस्से में तापमान को बढ़ा देती है, जिससे स्पर्म काउंट भी कम हो सकता है और टेस्टीकुलर कैंसर (अंडाशय का कैंसर) भी हो सकता है। इस कैंसर को लेकर फिलहाल पुष्टि नहीं हुई है होना बाकी है।