हेल्थ

Published: Oct 20, 2020 05:52 AM IST

हेल्थजाने क्या है योग निद्रा और इसके फायदे, कई रोगों का हैं रामबाण इलाज

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

-सीमा कुमारी

योगनिद्रा का प्रयोग अगर आप रोजाना करते है, तो कई तरह की शारीरिक समस्या से छुटकारा मिल सकता है. जैसे की रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द, तनाव, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनों, जोड़ों का दर्द, साइटिका, अनिद्रा, अवसाद और अन्य मनोवैज्ञानिक बीमारियों, स्त्री रोग में प्रसवकाल की पीड़ा के समस्या में लाभदायक होता है. रोजाना योग करना व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ करता है. इस योग में आध्यात्मिक नींद ली जाती है. यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना होता है. सोने और जागने के बीच की स्थिति को ही योग निद्रा कहा जाता है. विभिन्न तरह के योगासन विभिन्न रूप से शरीर और मन पर सकरात्मक प्रभाव डालते हैं.

योगनिद्रा करने से पहले कुछ बातों पर ध्यान रखें:

खुली हुई जमीन पर पहले  दरी बिछाकर उस पर एक कंबल बिछाएं और ढीले कपड़े पहनकर शवासन के लिए तैयार हो जाए. अब दोनों पैर एक दूसरे से लगभग एक फुट की दूरी पर रखे. हथेली कमर से छह इंच दूरी पर रखे, आँखे बंद रखे. अब कल्पना करें कि आप प्रकृति के गोद में लेटकर योगनिद्रा कर रहे हैं. आप के हाथ, पाँव, पेट, गर्दन, आँखें सभी अंग शिथिल हो गए हैं.

अपने आप से कहें कि मैं योगनिद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूँ. शरीर को हिलाना नहीं है. यह एक मनोवैज्ञानिक नींद है. विचारों से जूझना नहीं है, पूरी साँस लेना व छोड़ना है. योग निद्रा एक तरह की ध्यान मुद्रा है. जिसे जमीन पर लेटकर किया जाता है, इस योग में आध्यात्मिक नींद ली जाती है. यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना होता है. सोने और जागने के बीच की स्थिति को ही योग निद्रा कहा जाता है.

कल्पना करें:

कल्पना करें की धरती माता ने आपके शरीर को गोद में उठाया हुआ है. अब मन को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे, सभी उंगलियों पर ले जाइए. कलाई, कोहनी, भुजा व कंधे पर ले जाइए. इसी प्रकार अपने मन को बाएं हाथ पर ले जाएं. दाहिना पेट पेट के अंदर की आंतें, जिगर, अग्नाशय दाएं व बाएं फेफड़े, हृदय व समस्त अंग शिथिल हो गए हैं.

अपने मन को दोनों भौहों के बीच में लाएँ, व योगनिद्रा समाप्त करने के पहले अपने आराध्य का ध्यान कर व अपने संकल्प को 3 बार अंदर ही अंदर दोहराए. लेटे ही लेटे बंद आँखों में तीन बार ओम नमः शिवाय का उच्चारण करिए. फिर दोनों हथेलियों को गरम करके आँखों पर लगाएँ व पाँच बार सहज साँस लीजिए अब अंदर ही अंदर देखिए. आपका शरीर, मन व मस्तिष्क तनाव रहित हो गया है, आप स्वस्थ व तरोताजा हो गए हैं. जिस तरह से 10 साल के बच्चें में ऊर्जा होता है उसी प्रकार से आप भी महसूस करेंगे.