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Published: Mar 23, 2024 01:50 PM IST

Holi 2024200 सालों से भारत की इन जगहों पर नहीं मना होली का त्योहार, पड़ोसी गांवों में करते हैं सेलिब्रेशन, जानिए क्या है वजह

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
इन जगहों पर नहीं मनती होली (डिजाइन फोटो)

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: होली का त्योहार (Holi 2024) हर किसी के लिए खास मौका होता है ऐसे में इस रंग-बिरंगे त्योहार पर हर कोई सेलिब्रेशन करना पसंद करता है। इसके लिए होली पार्टियां (Holi Party) होती है तो वहीं पर जमकर भांग और ठंडाई के मजे लेते है। लेकिन भारत में कुछ जगहें ऐसी भी है जहां पर होली का सेलिबेशन नहीं होता है। यहां पर एक इंसान भी आपको होली के रंग बिखेरते नजर नहीं आएगा।

इन जगहों पर नहीं होता होली का सेलिब्रेशन

भारत की इन जगहों पर होली का सेलिब्रेशन नहीं होता है जानिए कौन सी है वे खास जगहें…

1- रामसन गांव (गुजरात)

भारत के हिस्से गुजरात का एक गांव रामसन है जो बनासकांठा में आता है यहां पर होली का त्योहार नहीं मनाते है। करीब 200 साल हो गए है यहां के लोग होली का टीका भी एक-दूसरे को नहीं लगाते। कहा जाता है इस गांव रामसन को कुछ संतों का श्राप मिला हुआ है, जिसके चलते यहां लोग होली का कोई जश्न नही मनाते हैं।

2- तमिलनाडु (दक्षिण भारत)

देश में एक राज्य ऐसा भी है जहां पर होली का सेलिब्रेशन देखने के लिए नही मिलता है इसकी वजह यहां पर होली की जगह मासी मागम नामक स्थानीय पर्व मनाया जाता है। इस वजह से इस राज्य में कम ही होली का सेलिब्रेशन होता है।

                                                                         इन जगहों पर नहीं मनती होली (डिजाइन फोटो)

3- दुर्गापुर (झारखंड)

रामसन गांव की तरह झारखंड में भी एक गांव ऐसा है जहां पर करीब 200 सालों से लोगों होली का त्योहार नहीं मना रहे है अगर जो मनाना चाहते है वे गांव से बाहर पड़ोसी गांव में सेलिब्रेशन करते है। कहा जाता है, होली के दिन ही राजा के बेटे की मौत हो गई थी, जिसके बाद इसी घटना में मरने से पहले राजा ने गांव में होली पर पाबंदी लगा दी थी। तब से यह नियम अब तक बरकरार है।

4- रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड

भारत के हिस्से उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग में भी कई जगहों पर होली का त्योहार नहीं मनाते है। यहां पर  तीन गांव, क्विली, कुरझन और जौदला में भी होली नहीं मनाई जाती है। इसके पीछे की वजह भी बेहद दिलचस्प है। स्थानीय लोगों का मनाना है कि यहां की देवी त्रिपुर सुंदरी को शोर-शराबा पसंद नहीं है, यह देवी तीनों गावों की रक्षा करती हैं। इस वजह से होली नहीं मनाते है।