रिश्ते - नाते
Published: Aug 19, 2022 12:33 PM ISTJanmashtami 2022कैसे निभाएं जिंदगी में अपने रिश्ते, भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से सीखें
-सीमा कुमारी
भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का महापर्व ‘जन्माष्टमी’ (Janmashtami) इस वर्ष 19 अगस्त, शुक्रवार के दिन पूरे देशभर में मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी का पर्व हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता है।
वही भगवान श्री हरि विष्णु के 8वें अवतार भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हर क्षण हमें कुछ न कुछ सिखाता है। किसी भी रिश्ते को निभाने की जो कला कृष्ण कन्हैया में थी, उससे हम किसी रिश्ते को सरलता के बंधन में बांध सकते हैं। श्रीकृष्ण (Lord Krishna) सिखाते हैं कि कैसे हर रिश्ते को ईमानदारी से निभाना चाहिए। प्रेमी हो, दोस्त हो या फिर मित्र हर रिश्ते में भगवान एकदम खरे उतरें, और हमें भी इससे सीख लेने की जरूरत है। आइए भगवान श्रीकृष्ण से सीखें रिश्ते निभाना।
भगवान कृष्ण देवकी और वासुदेव के पुत्र थे, लेकिन उनका वृंदावन में पालन-पोषण यशोदा और नंद ने किया था। भगवान कृष्ण नेे दोनों माता-पिता की सेवा की। दोनों माताओं को बराबर स्थान दिया। कृष्ण ने दुनिया को यह सिखाया कि हमारे जीवन में मां-बाप का बड़ा योगदान है।
माना जाता है कि श्री कृष्ण की हजारों गोपियां थी परन्तु राधा के प्रति श्री कृष्ण का प्रेम सबसे गहरा था। श्रीकृष्ण, राधा और गोपियों के साथ मिलकर रास लीला रचाते थे, परन्तु श्रीकृष्ण इन सभी से प्यार के साथ-साथ उनका सम्मान भी करते थे। प्रेमियों को श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कहानी से सच्चे प्यार के प्रति सम्मान की सीख लेनी चाहिए। इस प्रकार यदि आप भी अपने रिश्तों को ठीक से निभाना चाहते है तो भगवान श्री कृष्ण के जीवन को समझें।
भगवान विष्णु का अवतार रूप होने के बावजूद भगवान श्री कृष्ण के मन में अपने गुरुओं के लिए हमेशा सम्मान था। वह जिन संतों और गुरुओं से मिले सबका सम्मान किया। श्री कृष्ण यह सीख देते हैं कि आप कितने ही बड़े पद पर पहुंच जाओ लेकिन गुरू का सम्मान हमेशा करो।
भगवान श्री कृष्ण ने हमेशा सत्य का साथ दिया। बात जब सत्य और असत्य की हुई तो उन्होंने अपने मामा कंस को तक नहीं छोड़ा। उन्होंने मामा कंस का वध किया। इससे हम सीख सकते हैं कि हमेशा सत्य का साथ दें। और सच्चाई का साथ दें ।
ये बात तो विश्व विख्यात है कि भगवान श्रीकृष्ण के लिए सुदामा की दोस्ती के क्या मायने थे। सुदामा और श्री कृष्ण की दोस्ती ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी, छोटे-बड़े के भेद को समाप्त करती है और हमें दोस्ती जैसे रिश्ते की अहमियत समझाती है। सुदामा बहुत ही गरीब व्यक्ति थे, परन्तु श्री कृष्ण के बालसखा थे लेकिन श्री कृष्ण ने अपनी दोस्ती के बीच कभी उनकी हैसियत को नहीं आने दिया। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण महाभारत के अर्जुन और द्रौपदी के भी बहुत अच्छे मित्र थे।