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Published: Apr 14, 2024 07:53 AM IST

Ambedkar Jayanti 2024,देश भर में आज है बाबा भीमराव अंबेडकर जयंती 2024, जानिए इसका इतिहास और महत्व

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
आज है बाबा भीमराव अंबेडकर जयंती 2024 (Social Media)

सीमा कुमारी

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: आज यानी 14 अप्रैल को पूरे देशभर में ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर'(Ambedkar Jayanti 2024) की जयंती मनाई जा रही है। आपको बता दें, भारत के महान नेता, सामाजिक सुधारक और संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू नामक स्थान पर हुआ था।

लोग उनको प्यार से बाबा साहब के नाम से पुकारते थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद देश के संविधान के निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से हर साल साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती (Ambedkar jayanti) के रूप में मनाया जाता है।

जानिए बाबा भीमराव के बारे में

बता दें कि, डॉ. भीमराव अंबेडकर एक राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक थे। जो कमजोर लोगों के अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे। उन्होंने जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई और दलित समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। बाबा साहब शिक्षा के जरिए समाज के दबे, शोषित, कमजोर, मजदूर और महिला वर्ग को सशक्त बनाना चाहते थे और उनको समाज में एक बेहतर दर्जा दिलाना चाहते थे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, पहली बार डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल, 1928 को पुणे में मनाई गयी थी। इसकी शुरुआत जनार्दन सदाशिव रणपिसे ने की थी जो अंबेडकर के एक प्रबल अनुयायी और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने इस दिन को मनाने की परंपरा शुरू की थी जो अब तक लगातार जारी है। बता दें कि हर साल 14 अप्रैल को देश में सार्वजनिक अवकाश भी रहता है।

होनहार आंबेडकर ने किया छूआछूत का सामना

14 भाई बहनों में आंबेडकर अकेले थे जो स्कूल एग्जाम में कामयाब हुए। दूसरे बच्चों की तुलना में भी वह काफी तेज थे लेकिन उनकी काबिलियत के बावजूद आंबेडकर को स्कूल में अन्य बच्चों से अलग बैठाया जाता था। उनको क्लास रूम के अंदर बैठने की इजाजत नहीं थी। प्यास लगने पर कोई ऊंची जाति का शख्स ऊंचाई से उनके हाथों में पानी डालता था, क्योंकि पानी के बर्तन को छूने की इजाजत नहीं थी।

बाबा साहेब का ब्राह्मण कनेक्शन

बाबा साहेब की दो पत्नियां थीं। उनकी सगाई नौ साल की लड़की रमाबाई से हिंदू रीति रिवाज से हुई। शादी के बाद उनकी पत्नी ने पहले बेटे यशवंत को जन्म दिया। आंबेडकर के निधन के बाद परिवार में दूसरी सविता आंबेडकर रह गईं, जो कि जन्म से ब्राह्मण थीं। शादी से पहले उनका नाम शारदा कबीर था।

बाबासाहेब का संवैधानिक योगदान

अंबेडकर ने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता, न्याय और समान अवसर प्रदान करते हैं। साल 1946 में संविधान सभा के लिए चुना गया । उन्होंने मौलिक अधिकारों, संघीय ढांचे और अल्पसंख्यकों और वंचितों के लिए सुरक्षा उपायों जैसे महत्वपूर्ण प्रावधानों को शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इन अधिकारों पर दिया ध्यान

उन्होंने विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता, अस्पृश्यता उन्मूलन और शोषण के खिलाफ सुरक्षा जैसे अधिकारों पर जोर दिया। बाबासाहेब ने एक मजबूत केंद्र सरकार और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन सुनिश्चित करने के लिए एक संघीय प्रणाली का समर्थन किया। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि राज्यों को अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए बाध्य किया जाए। भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति, अम्बेडकर एक न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेदभाव को खत्म करने और महिलाओं और श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।