धर्म-अध्यात्म

Published: May 29, 2022 06:08 PM IST

Vat Savitri Vrat 2022वट सावित्री व्रत के दौरान सुहागिन स्त्रियों को गलती से भी नहीं करनी चाहिए ये गलतियां

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-सीमा कुमारी

‘वट सावित्री व्रत’ (Vat Savitri Vrat) का पावन पर्व हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। हालांकि, कई जगहों पर इसे ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो व्रती सच्ची निष्ठा और भक्ति से इस व्रत को करती हैं, उनकी न केवल सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि पुण्य प्रताप से पति पर आई सभी बला टल जाती है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने सुहाग के दीर्घायु होने के लिए व्रत-उपासना करती हैं। आइए जानें  वट सावित्री व्रत के दौरान सुहागिन स्त्रियों को नहीं करनी चाहिए ये गलतियां और कथा

ज्योतिष- शास्त्र के अनुसार, वट सावित्री व्रत की वूजा करने वाली सुहागिन महिलाओं को काला, नीला और सफेद रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए।

व्रती को चतुर्दशी के दिन से तामसी भोजन का परित्याग कर देना चाहिए। साथ ही खान-पान में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा,इस दिन काली, नीली या सफेद चूड़ियां भी नहीं पहननी चाहिए।

कथा

सावित्री का शादी सत्यवान से हो जाती है,  सावित्री अपने पति के साथ खुशी की जीवन व्यतीत करने लगती है, लेकिन कुछ वर्षों के बाद नारद ऋषि आते हैं और उन्हें बताते हैं जो तुम्हारे पति की आयु बहुत ही कम है।  कुछ ही दिनों में इनकी मृत्यु हो जाएगी। सावित्री घबरा जाती है और नारद मुनि से पति की आयु लंबी होने का प्रार्थना करती है। नारद मुनि कहते हैं यह संभव नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा जब तुम्हारे पति की तबीयत बिगड़ने लगे तब तुम बरगद के पेड़ के नीचे चली जाना। 

कुछ ही दिनों के बाद उनके पति की तबीयत खराब हो गयी और सावित्री अपने पति को बरगद के पेड़ के पास लेकर चली गई जहां पर उनकी मृत्यु हो जाती है। कुछ ही देर के बाद यमराज आए और उनके पति के प्राण लेकर दक्षिण दिशा की ओर जाने लगे। यह सब सावित्री देख रही थी। सावित्री ने मन ही मन सोचा भारतीय नारी का जीवन पति के बिना उचित नहीं होता है,  इसीलिए सावित्री यमराज के पीछे-पीछे जाने लगी। यमराज ने पीछे आने से सावित्री को मना किया और बोले तुम मेरा पीछा मत करो।

सावित्री ने यमराज से कहा प्रभु मेरे पति जहां भी जाएंगे मैं उनके साथ-साथ जाऊंगी। लाख समझाने के बावजूद भी सावित्री नहीं मानी और यमराज का पीछा करती ही रही। अंत में यमराज सावित्री को प्रलोभन देने लगे और बोले बेटी सावित्री तुम मुझसे कोई वरदान ले लो और मेरा पीछा छोड़ दो। सावित्री ने मां बनने का वरदान मांगा, यमराज ने वरदान दे दिया। वरदान देने के बाद जब ही यमराज चलने लगे तो सावित्री ने कहा प्रभु मैं मां बनूंगी कैसी आप तो मेरे पति को ले जा रहे हैं? 

यह सुनकर यमराज खुश हो गए और बोले बेटी तुम्हारे जैसे सती सावित्री पत्नी जिसकी होगी उसके पति के जीवन में कोई संकट नहीं आएगा। उन्होंने कहा आज के दिन जो यह वट सावित्री का व्रत करेगा उसके पति की अकाल मृत्यु नहीं होगी। ऐसा कहकर यमराज सावित्री के पति सत्यवान को जिंदा कर वापस अपने लोक में चले गए। तभी से यह मान्यता है इस दिन जो स्त्री पति के लिए व्रत और पूजा करती है उसके पति की उम्र लंबी होती है।