धर्म-अध्यात्म

Published: Feb 12, 2022 08:17 PM IST

Havan and Yagnaपूजा के बाद 'इसलिए' किया जाता है हवन? जानिए हवन करने के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

सीमा कुमारी

सनातन हिन्दू धर्म में हवन और यज्ञ (Havan and Yagna) करने की विशेष परंपरा है। नवरात्र हो या दीपावली हर पूजा के बाद हवन करने का विशेष नियम है। इसके पीछे आमतौर पर, धार्मिक कारण माना जाता है जबकि इसका एक बड़ा वैज्ञानिक कारण भी है। लेकिन पूजा के बाद सबका हवन या पूर्ण आहुति देने का विधान लगभग एक जैसा ही है। ये परम्परा ऋषि मुनियों के समय से चली आ रही है। जिसे आज तक निभाया जा रहा है।

कहा जाता है कि, हवन  करने से पूजा पूर्ण मानी जाती है। हवन करने से वातावरण शुद्ध रहता है और सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का संचार भी होता है। घर में नियमित हवन करने के अनेक फायदे है। आइए जानें आखिर क्यों पूजा के बाद हवन करना जरूरी होता है। क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व-

 आध्यात्मिक महत्व

हिंदू धर्म में हवन को शुद्धिकरण का एक ‘कर्मकांड’ माना गया है। कहा जाता है पूजा-पाठ समेत कोई भी धार्मिक कार्य हवन के बिना अधूरा है। जिसके जरिेए आसपास की नकारात्मक और बुरी आत्माओं के प्रभाव को खत्म किया जाता है। ग्रह दोष से पीड़ित व्यक्ति को ग्रह शांति के लिए हवन करने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि हवन पूर्ण होने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवा कर दान देना चाहिए। कई शुभ कार्य जैसे भूमि पूजन या भवन निर्माण, पूजा-पाठ, कथा और विवाह आदि कार्यक्रम में हवन कराया जाता है। हवन से वास्तु दोष भी दूर होते हैं।

वास्तु-शास्त्र के अनुसार, हवन एक छोटा सी पूजा है, जिसमें मंत्रों और जाप के बाद अग्नि में दी जाने वाली आहुति की प्रकिया को हवन कहा जाता है। आप इसे पूरे परिवार के साथ करते है। यज्ञ एक अनुष्ठान होता है जो किसी खास मकसद से किया जाता है। इसमें देवता, आहुति, वेद मंत्र और दक्षिणा अनिवार्य होती है।  

ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, हवन का धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। कहते है कि, हवन से जो धुआं निकलता है, उससे वायुमंडल शुद्ध होता है। हवन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री सेहत के लिए अत्यंत फ़ायदेमंद होती है। इसमें गाय के गोबर से बने कंडे का इस्तेमाल भी किया जाता है। हवन करने से कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है क्योंकि इसमें लगभग 94 प्रतिशत हानिकारक जीवाणु नष्ट करने की क्षमता होती है।