धर्म-अध्यात्म
Published: Aug 19, 2022 11:39 AM ISTJanmashtami 2022अगर यह है आपकी पहली जन्माष्टमी का व्रत, तो ऐसे करें श्रीकृष्ण की पूजा
-सीमा कुमारी
भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) हर साल पूरे देशभर में बहुत ही धूमधाम एवं उत्साह से मनाया जाता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को इस शुभ मौके का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है। इस साल जन्माष्टमी के व्रत को लेकर लोगों के बीच काफी असमंजस बनी हुई है। जहां कुछ लोग जन्माष्टमी का व्रत (Fast) 18 अगस्त को रख रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग 19 अगस्त को भी जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे।
इस साल जन्माष्टमी दो दिन पड़ रही है, जिसके कारण यह उत्सव भी दो दिन ही मनाया जा रहा है। इस साल की जन्माष्टमी के दिन वृद्धि और धुव्र योग बन रहे हैं जो काफी शुभ और फलदायी माने जाते हैं। अगर आप पहली बार घर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मना रहे हैं, तो इस विधि से करें कान्हा की पूजा, साथ ही जानिए शुभ मुहूर्त।
शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल की पूजा का मुहूर्त 18 अगस्त को रात 12 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। जन्माष्टमी के दिन इस बार रोहिणी नक्षत्र नहीं है। अबकी बार भरणी नक्षत्र सुबह 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इसके बाद कृतिका नक्षत्र लग जाएगी इसके साथ ही वृद्धि योग रात 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा इसके बाद ध्रुव योग लग जाएगा।
पूजा विधि
भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था इसी कारण आज रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाया जाएगा। आज स्नान आदि करने के साथ साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके साथ ही बाल गोपाल का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके साथ ही पूरे दिन इन मंत्र का जाप करें-
ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सवार्भीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये।।
जन्माष्टमी की रात को भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें इसके साथ ही जल और गाय के दूध से अभिषेक करें। अभिषेक करने के बाद मनमोहक वस्त्र पहनाएं। मुकुट पहनाएं और उसमें मोर पंख लगाएं। इसके साथ ही बांसुरी, वैजयंती माला रख दें। इसके बाद श्रीकृष्ण को चंदन लगाएं। चंदन के बाद पीले रंग के फूल, माला चढ़ाएं। इसके साथ ही भोग में लड्डू, माखन मिश्री, दही, दूध, मिठाई, मेवे, पीले रंग की मिठाई, आटा के पुए के साथ तुलसी दल चढ़ाएं। भोग के बाद जल अर्पित करें और गाय के घी का दीपक और धूप जलाएं। फिर अंत में बाल गोपाल की आरती कर लें और भूल-चूक के लिए माफी मांग लें। अंत में प्रसाद वितरण कर दें।