धर्म-अध्यात्म

Published: Oct 21, 2020 08:02 AM IST

नवरात्रि स्पेशल भाग्य का द्वार खोलती है माता स्कंद, ऐसे करें आराधना

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

-सीमा कुमारी  

आज नवरात्र का पांचवा दिन है. इस दिन माता स्कंद की पूजा की जाती है. जो भक्त माता की पूजा पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करते है, उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है. इसलिए तो स्कंद माता को भक्तों के मोक्ष का द्वार खोलने वाली माता कहा गया है. लेकिन शारीरिक कष्टों के निवारण के लिए माता का भोग केले का लगाएं. स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है. भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं. मां की चार भुजाएं हैं जिसमें दोनों हाथों में कमल के पुष्प हैं. देवी स्कंदमाता ने अपने एक हाथ से कार्तिकेय को अपनी गोद में बैठा रखा है और दूसरे हाथ से वह अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं.

स्कंदमाता की पूजा विधि:

माता स्कंद की कथा:

भगवान स्कंद को ‘कुमार कार्तिकेय’ के नाम से भी जाना जाता है. प्राचीन काल में जब देवासुर संग्राम हुआ तो वीरता के कारण इन्हें देवताओं का सेनापति बनाया गया था. पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा के बारे में बताया गया है. मां दुर्गा स्कंद की माता हैं. इसकी कारण दुर्गाजी को स्कंदमाता भी कहा जाता है. इनकी महिमा के कारण नवरात्र के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है.