धर्म-अध्यात्म

Published: Sep 16, 2021 06:28 PM IST

Parivartini Ekadashi Vrat 2021आज है 'परिवर्तिनी एकादशी'? जानिए इसकी महिमा, मुहूर्त और पूजा विधि

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

-सीमा कुमारी

भादो महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ”परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) मनाई जाती है। इस साल ‘परिवर्तनी एकादशी’ 17 सितंबर, अगले शुक्रवार को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान नारायण के वामन अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन जगत के पालनहर्ता श्री हरि भगवान विष्णु योग निद्रा में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को करवट बदलते हैं। 

इस कारण से इसे ‘परिवर्तिनी एकदाशी’ कहा जाता है, वहीं, ‘वामन एकादशी’ और ‘जयंती एकादशी’ भी कहा जाता है। बता दें इस समय ‘चातुर्मास’ चल रहा है। ‘देवउठनी एकादशी’ के दिन से भगवान विष्णु योग-निद्रा से बाहर आएंगे। फिर मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। आइए जानें  ‘परिवर्तिनी एकादशी’ तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और धार्मिक महत्व।

शुभ मुहर्त

पुण्य काल- सुबह 6 बजकर 7 मिनट से दोपहर 12 बजकर मिनट तक

पूजा की कुल अवधि – 6 घंटे 8 मिनट

17 सितंबर को सुबह 6 बजकर 7 मिनट से सुबह 8 बजकर 10 मिनट तक महापुण्य काल रहेगा।

महापुण्य काल अवधि – 2 घंटे 3 मिनट

पूजा की विधि

मान्यताओं के मुताबिक,इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। फिर स्वच्छ कपड़े पहनें। और गंगाजल डालकर पूजन स्थल को साफ और पवित्र कर लें। अब पूजा की चौकी लेकर उसमें पीले रंग का कपड़ा बिछा लें। उस चौकी में भगवान लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा विराजित करें, दीया जलाएं और प्रतिमा पर हल्दी, कुमकुम और चंदन लगाकर तिलक करें। 

अब दोनों हाथ जोड़कर भगवान विष्णु का ध्यान करें और प्रतिमा पर तुलसी के पत्ते और पीले फूल अर्पित करें। अब विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम और विष्णु स्त्रोत का पाठ करें। इस दिन भगवान विष्णु के मंत्र या उनके नाम का जाप करना  शुभ माना जाता है। अब भगवान विष्णु की आरती करें। मान्यता है कि, इस दिन दान, व्रत करना बहुत शुभ माना जाता है, और भक्तों को इसका पुण्य मिलता है।

महत्व

भादो महीने में पड़ने वाली ‘परिवर्तनी एकादशी’ बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस व्रत को करने से वाजपेज्ञ यज्ञ के समान ही माना जाता है। इस व्रत के बारे में महाभारत में भी कहा गया है। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर और अर्जुन को ‘परिवर्तनी एकादशी’ व्रत के बारे में बताया था। इस दिन भगवान विष्णु की वामन और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही धन की कमी भी नहीं होती है।