धर्म-अध्यात्म

Published: Apr 24, 2024 07:31 AM IST

Vikata Sankashti Chaturthi 202427 अप्रैल को है 'संकष्टी चतुर्थी', सही मुहूर्त में करें विधिवत पूजा, जीवन के विघ्न हर लेंगे श्री गणेश

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
विकट संकष्टी चतुर्थी 2024 (File Photo)

सीमा कुमारी

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: बुद्धि एवं शुभता के देव ‘भगवान गणेश’ (Lord Ganesha) को समर्पित चतुर्थी तिथि सनातन धर्म में बड़ा महत्व रखता है। इस बार ‘वैशाख माह’ (Vaishakh Month 2024) की चतुर्थी तिथि यानी ‘विकट संकष्टी चतुर्थी’ (Vikata Sankashti Chaturthi 2024) 27 अप्रैल, शनिवार के दिन पड़ रही है।

गणपति बप्पा की होती है पूजा

ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन देवों के देव महादेव के पुत्र गणपति बप्पा की पूजा करने से साधक को सभी तरह के दुखों से छुटकारा मिलता है। साथ ही आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। अगर आप भी प्रभु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करें। ऐसे में आइए जानें विकट संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि के बारे में।

तिथि

विकट संकष्टी चतुर्थी को वैशाख की संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस व्रत में रात के समय में चंद्रमा की पूजा करने के साथ अर्घ्य देते है। जो लोग विधि विधान से विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत करते हैं, उनके जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और बप्पा के आशीर्वाद से मनोकामनाएं पूरी होती है। इस साल 27 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 27 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 17 मिनट पर होगी और अगले दिन 28 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में 27 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। संकष्टी चतुर्थी तिथि पर चंद्र दर्शन का विधान है। इस तिथि पर चंद्र दर्शन का समय देर रात 10 बजकर 23 मिनट पर है।

पूजा विधि

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। अब भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें। मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति विराजमान करें। अब गणपति बप्पा को दूर्वा और मोदक अर्पित करें। देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ करें। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करना फलदायी होता है। इसके पश्चात गणेश जी मोदक, फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।

विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व

सनातन धर्म में विकट संकष्टी चतुर्थी का बड़ा महत्व है। कहा जाता है कि, इस दिन जो व्यक्ति भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना करता है। उसे सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो सकती है। इसके अलावा रात्रि में चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।