धर्म-अध्यात्म

Published: Feb 08, 2023 04:51 PM IST

Falgun Sankashti Chaturthiआज है 'फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी', इस रंग के कपड़े पहनकर न करें पूजा, जानिए सही तिथि और पूजा का मुहूर्त

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: इस वर्ष फाल्गुन महीने की ‘संकष्टी चतुर्थी’ (Falgun Sankashti Chaturthi) आज यानी 9 फरवरी, गुरुवार को है। इसे द्विजप्रिय चतुर्थी (Dwijapriya Chaturthi) भी कहते है। हिन्दू धर्म में ‘संकष्टी चतुर्थी’ का बड़ा महत्व है। हिन्दू धर्म के अनुसार, कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले बुद्धि,बल और विवेक के देवता भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना अवश्य की जाती है।

मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को बल, बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन चंद्र दर्शन और पूजा को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस विशेष दिन पर सुहागिन महिलाएं परिवार के कल्याण और समृद्धि के लिए व्रत का पालन करती हैं। आइए जानें फाल्गुन मास में किस दिन रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी व्रत।

तिथि और शुभ मुहूर्त

फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ:

9 फरवरी 2023, गुरुवार प्रातः 4 बजकर 53 मिनट से

चतुर्थी तिथि का समापन:

10 फरवरी 2023, शुक्रवार प्रातः 6 बजकर 28 मिनट तक

संकष्टी चतुर्थी चाद्रोदय समय:

9 फरवरी रात्रि 09 बजकर 13 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त:

9 फरवरी प्रातः 04 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 14 मिनट तक

संध्या पूजा शुभ मुहूर्त:

शाम 6 बजकर 58 मिनट से रात्रि 8 बजकर 34 मिनट तक

शास्त्रों में बताया गया है कि चतुर्थी तिथि के चंद्र दर्शन के बिना व्रत का पारण नहीं किया जाता है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी चंद्र दर्शन करने से आरोग्यता और उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन साधक ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करें और सूर्य देव को अर्घ्य अवश्य दें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। पूजा काल में गणपति जी को गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि अर्पित करें, साथ ही विघ्नहर्ता को लड्डू या भोग लगाएं। अंत में भगवान गणेश की आरती करें और अज्ञानतावश हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का प्रयोग न करें और काला वस्त्र धारण करके पूजा न करें।

महत्व

संकष्टी चतुर्थी का अर्थ ही है संकटों को हरने वाली चतुर्थी। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और भगवान गणेश की विधि पूर्वक और शुभ मुहूर्त में पूजा करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।