धर्म-अध्यात्म

Published: Feb 02, 2024 07:45 AM IST

Kalashtami Vrat 2024आज है 'माघी कालाष्टमी', जानिए रूद्र अवतार काल भैरव की पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
आज है कालष्टमी व्रत (गूगल)

सीमा कुमारी 

नवभारत डिजिटल टीम: हिंदू धर्म में प्रत्येक तिथि, व्रत और त्योहार का बड़ा महत्व होता है। हर एक तिथि किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है, जिस दिन उनकी विशेष तौर पर पूजा अर्चना की जाती है। पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘कालाष्टमी’ (Kalashtami Vrat) का व्रत रखा जाता है।

इस बार 2024 माघ मास, यानी फरवरी महीने का पहला ‘कालाष्टमी व्रत’ (Kalashtami Vrat 2024) 2 फरवरी 2024, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन रूद्र अवतार काल भैरव की पूजा करते हैं। काल भैरव की पूजा करने से हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।

बाबा काल भैरव की पूजा करने से तंत्र और मंत्र की सिद्धि होती है। इसके लिए काल भैरव की पूजा निशिता मुहूर्त में की जाती है। ऐसे में आइए जानें माघ मास में किस कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा और पूजा के लिए क्या शुभ मुहूर्त रहेगा।

तिथि

पंचांग के मुताबिक, माघ कृष्ण पक्ष की तिथि 2 फरवरी को शाम 4 बजकर 3 मिनट तक रहेगी, उसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी। अष्टमी तिथि 3 फरवरी को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में कालाष्टमी का व्रत 2 फरवरी 2024, शुक्रवार के दिन किया जाएगा।

 शुभ मुहूर्त

 कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ-

2 फरवरी को शाम 4 बजकर 2 मिनट पर

 कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त-

3 फरवरी को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर

कालाष्टमी व्रत तिथि- 2 फरवरी 2024

ब्रह्म मुहूर्त-

2 फरवरी को सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 6 बजकर 17 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त-

2 फरवरी को  दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक

निशिता काल पूजा मुहूर्त-

2 फरवरी को देर रात 12 बजकर 8 मिनट से रात के 1 बजकर 1 मिनट तक

 धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान महादेव के तीन रूपों में से काल भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है। दरअसल, बाबा भैरव के तीन स्वरूप हैं- काल भैरव, रूरू भैरव और बटुक भैरव। इस दिन विशेष तौर पर तंत्र-मंत्र के देवता काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग कालाष्टमी का व्रत रखते हैं, उनके ऊपर से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। साथ ही राहु और शनि के दुष्प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दिन काल भैरव को प्रसन्न कर विभिन्न सिद्धियों को भी हासिल किया जा सकता है।