धर्म-अध्यात्म

Published: May 24, 2023 05:32 PM IST

Skanda Shashthi 2023ज्येष्ठ महीने में आज है 'स्कंद षष्ठी', पूजा-आराधना से जीवन के कष्टों से मिल सकता है छुटकारा, जानिए शुभ मुहूर्त

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कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: इस बार ज्येष्ठ महीने की ‘स्कंद षष्ठी व्रत’ (Skanda Sashti 2023) 25 मई 2023, गुरुवार को है। सनातन धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पूजा का बड़ा महत्व है। कहते हैं, उनकी पूजा के लिए हर माह की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी व्रत राखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति होती है। आइए जानें ‘स्कंद षष्ठी व्रत की महिमा-

हर महीने के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली ‘स्कंद षष्ठी’ तिथि पर विधि-विधान से भगवान कार्तिकेय के लिए व्रत और पूजन करने पर साधक को मनचाहा फल प्राप्त होता है।  मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। यही कारण है कि लोग इस तिथि पर उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं।

भगवान कार्तिकेय जी की पूजा और व्रत उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में ज्यादा रखा जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के नाम से पूजा जाता है। मान्यता के अनुसार, भगवान मुरुगन देवताओं के सेनापति हैं, जो अपने भक्तों को बड़े से बड़े संकट से पलक झपकते दूर हो जाते हैं।

पूजा विधि

‘स्कंद षष्ठी’ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और फिर भगवान कार्तिकेय की बालस्वरूप प्रतिमा या तस्वीर शुभ दिशा में स्थापित करें। इसके बाद उन्हें चंदन, धूप, दीप, पुष्प, वस्त्र इत्यादि अर्पित करें। भोग में एक मिष्ठान और पंच फल अवश्य रखें। इसके बाद स्कंद षष्ठी व्रत की कथा सुनें। इस दिन माता कार्तिकी और भगवान शिव की पूजा अवश्य करें। पूजा के अंत में कार्तिकेय भगवान की आरती करें और प्रसाद को परिवार के सदस्यों में बांट दें।