धर्म-अध्यात्म

Published: Sep 11, 2023 04:15 PM IST

Pradosh आज है भाद्रपद मास का पहला 'प्रदोष', कुंडली में 'मांगलिक दोष' हो तो अवश्य करें 'इस' मुहूर्त में पूजा, मिलेगा भोलेनाथ का आशीष

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: इस समय भाद्रपद का पावन महीना चल रहा है और इस माह का पहला ‘प्रदोष व्रत’ 12 सितंबर 2023, मंगलवार के दिन रखा जा रहा है, जिसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा भी बेहद शुभ मानी गई है। जिन लोगों की कुंडली में मांगलिक दोष उनके लिए भौम प्रदोष व्रत काफी लाभदायक बताया गया है। ऐसे में आइए जानें भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

तिथि

भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत 12 सितंबर 2023, मंगलवार को रखा जा रहा है। इसकी शुरुआत 11 सितंबर 2023 को रात 11 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो रही है और समापन 13 सितंबर 2023 को प्रातः: 2 बजकर 21 मिनट पर होगा।

मुहूर्त

भौम प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 30 मिनट से रात 8 बजकर 49 मिनट तक है।

पूजा विधि

भौम प्रदोष व्रत दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें।

इसके उपरांत स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

इसके उपरांत घर के मंदिर में दीप जलाएं और व्रत लेने का संकल्प लें।

फिर सायं काल में पुनः मंदिर में दीप जलाएं।

इसके उपरांत सर्वप्रथम भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें, उन्हें पुष्प अर्पित करें। भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी आराधना करें।

भगवान शिव को पांच फल, पंच मेवा और पंच मिष्ठान का भोग लगाएं।

आखिर में भगवान शिव की आरती करें।

संभव हो तो पूजन और अभिषेक के दौरान भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहें।

महिमा

भाद्रपद में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व होता है। भाद्रपद मास भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसे में इस माह में प्रदोष व्रत करने से भोलेनाथ के साथ-साथ भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, भौम प्रदोष व्रत में भगवान शंकर के साथ हनुमान जी की पूजा करना भी बेहद शुभ माना जाता है। दरअसल हनुमान जी को भगवान शिव का रूद्र अवतार माना जाता है। ऐसे में भौम प्रदोष व्रत के दिन हनुमान जी और भगवान शिव की पूजा करने से हर कष्ट से मुक्ति मिलती है। कुंडली में मांगलिक दोष वाले लोगों के लिए ये व्रत काफी लाभदायक है। इसके अलावा, मंगल ग्रह शांति के लिए भी ये व्रत काफी शुभ है। इस व्रत को करने से बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है।