धर्म-अध्यात्म

Published: Dec 20, 2022 04:41 PM IST

Pradosh Vratआज है इस साल का अंतिम प्रदोष व्रत, संतानप्राप्ति और कर्ज़ मुक्ति के लिए विशेष मुहूर्त में इस विधि से करें पूजा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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-सीमा कुमारी

साल 2022 का आखिरी ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat) 21 दिसंबर, बुधवार को रखा जाएगा। जो बेहद शुभ माना जा रहा है। इस प्रदोष व्रत पर ऐसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जिनमें पूजा-व्रत करना बेहद लाभ देगा। भगवान शिव सारी मनोकामनाएं पूरी करेंगे। पंचांग के अनुसार, इस महीने की मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं। दोनों ही शुभ योग यानी सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृतसिद्धि योग में आ रहे हैं और दोनों ही एक ही समय पर लगेंगे। तो आइए जानें इसकी पूजन-विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में –

शुभ मुहूर्त और शुभ योग

किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। जिसे ‘प्रदोष काल’ कहते हैं। वहीं 21 दिसंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग सुबह 08 बजकर 33 मिनट से लगेगा जो कि अगले दिन यानी 22 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 33 मिनट तक रहने वाले हैं।

पूजा-पाठ के लिए ये दोनों की योग बहुत शुभ माने जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार अगर सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा-पाठ किया जाता है तो उसका दोगुना फल मनुष्य को प्राप्त होता है औऱ वहीं अगर अमृत सिद्धि योग में व्रत व पूजा की जाए तो मनुष्य को उसका अमृत के समान फल प्राप्त होता है।

महत्व  

बुध प्रदोष व्रत करके आप किसी भी रोग से छुटकारा पा सकते है। दोषों से मुक्ति मिल सकती है।  घर के कलह और क्लेशों से छुटकारा मिल सकता है। यानी बुध प्रदोष व्रत करने से आप पर भगवान शिव की कृपा के साथ मंगलमूर्ति की कृपा भी बरसेगी। इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत बेहद ही शुभ माना जाता है। कर्ज मुक्ति के लिए भी प्रदोष व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण और पुण्यदाई माना गया है।

इस दिन स्नान करके साफ कपड़े पहनें। बड़े बुजुर्गों के पैर छुएं।  उसके बाद तांबे के लोटे से सूर्य देव को जल में शक्कर मिलाकर अर्घ्य दें।  प्रदोष व्रत के दिन 27 हरी दुर्वा की पत्तियों को कलावे से बांध लें और सिंदूर लगा लें। अब दुर्वा की पत्तियां गणपति को अर्पित करें। इसके बाद भगवान भोलेनाथ को दूध, शक्कर शुद्ध घी अर्पित करें और उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं।

इस दिन भगवान गणपति को लाल फल या लाल मिठाई का भोग लगाएं और भगवान शिव को साबुत चावल की खीर का भोग लगाएं। इसके बाद आसन पर बैठकर ‘ऊं नम: शिवाय’ या नम: शिवाय, या ‘नम: शिवाय’ का 108 बार जाप करें। भगवान शिव की पूजा सुबह और शाम प्रदोष काल में करें। ऐसा करने से नौकरी, व्यापार में लाभ के साथ मन की इच्छा जरूर पूरी होगी ।