धर्म-अध्यात्म
Published: Nov 16, 2022 07:30 AM ISTVrishchik Sankranti 2022आज है ‘वृश्चिक संक्रांति’, जानिए मुहूर्त और इन तीन काम करने से होता है भाग्योदय!
-सीमा कुमारी
इस साल ‘वृश्चिक संक्रांति’ (Vrischika Sankranti) आज यानी 16 नवंबर, बुधवार के दिन है। पंचांग के अनुसार, वर्ष में 12 संक्रांति मनाई जाती है। अभी मार्गशीर्ष माह चल रहा है। 16 नवंबर 2022 को सूर्य तुला से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे, इसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। वृश्चिक राशि में सूर्य 15 दिसंबर 2022 तक विराजमान रहेंगे। सूर्य की उपासना के लिए ये दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, संक्रांति के दिन पूजा-पाठ करने से और स्नान-दान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानें वृश्चिक संक्रांति का पुण्य काल और महत्व…
शुभ मुहूर्त
वृश्चिक संक्रांति 2022 तिथि- 16 नवंबर 2022, दिन बुधवार
सूर्य राशि परिवर्तन- 16 नवंबर को शाम 07 बजकर 29 मिनट पर (तुला से वृश्चिक राशि में प्रवेश)
वृश्चिक संक्रांति पुण्य काल- दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक
अवधि- 05 घंटे 24 मिनट
वृश्चिक संक्रान्ति महा पुण्य काल- दोपहर 03 बजकर 48 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट
अवधि- 01 घण्टा 48 मिनट
पूजा विधि
- 16 नवंबर को वृश्चिक संक्रांति के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद सूर्य देव की पूजा करें।
- तांबे के लोटे में पानी डालकर उसमें लाल चंदन, रोली, हल्दी और सिंदूर मिलाकर भगवान सूर्य को अर्पित करें।
- धूप-दीप से सूर्य देव की आरती करें।
- सूर्य की कृपा पाने के लिए सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें।
- इस दिन घी और लाल चंदन का लेप लगाकर भगवान के सामने दीपक जलाएं।
- सूर्य देव को लाल फूल अर्पित करें।
- आखिर में गुड़ से बने हलवा का भोग लगाएं।
महत्व
वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य को जल अर्पित करने के साथ श्राद्ध और पितृ तर्पण कार्य करना उत्तम माना जाता है। देवी पुराण के अनुसार जो इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद दान पुण्य करता है उसके समस्त पाप खत्म हो जाते हैं और गंभीर बीमारियों से छुटकारा मिलता है। वहीं सूर्य की उपासना करने से पराक्रम, बल, तेज, यश, कीर्ति, मिलती है। कहते हैं इस दिन सूर्य को तांबे के लौटे में जल, लाल चंदन, लाल फूल, कुमकुम मिलाकर चढ़ाएं। साथ ही सूर्य चालीसा का पाठ भी करें। इससे तमाम दोष खत्म हो जाते है।