धर्म-अध्यात्म

Published: Mar 27, 2023 09:59 PM IST

Chaitra Navratri 2023मंगलवार को है चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन, 'मां कालरात्रि' की इस मुहूर्त में विधिवत करें पूजा, संकटों से मिलेगा छुटकारा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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आज यानी 28 मार्च 2023 को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है। नवरात्र पर्व में मां दुर्गा के सातवें सिद्ध स्वरूप ‘मां कालरात्रि” (Maa Kalratri) की पूजा को बहुत शुभ एवं मनोवांछित फल प्राप्ति हेतु बताया गया है। चैत्र नवरात्र की सप्तमी तिथि के दिन मां दुर्गा के सबसे शक्तिशाली स्वरुप की विधि-विधान से पूजा की जाती हैं। सदैव शुभ फल देने के कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता हैं।

नवरात्रि में मां कालरात्रि की उपासना से शत्रु और विरोधियों से मुक्ति मिलती हैं। देवी कालरात्रि जिस पर प्रसन्न हो जाएं बड़ी से बड़ी विपदा टल जाती है, यहां तक कि शनि के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिलती हैं। नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है, आइए  जानें चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र, उपाय और मुहूर्त-

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस साल 2023 में नवरात्रि के सातवें दिन महासप्तमी मनाई जाएगी। इस दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की आराधना की जाएगी। साथ ही चैत्र नवरात्रि 2023 महासप्तमी के दिन माता कालरात्रि की पूजा 28 मार्च 2023, मंगलवार के दिन की जायेगी।

पूजा विधि

काल का नाश करने वाली मां कालरात्रि की पूजा मध्य रात्रि(निशिता काल मुहूर्त) में शुभ फलदायी मानी गई है। देवी कालरात्रि को कुमकुम का तिलक करें। लाल मौली, गुड़हल या रात रानी के पुष्प चढ़ाए। मां कालरात्रि को गुड़ का प्रसाद अति प्रिय है।  ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।’ का यथाशक्ति जाप करें।अंत में कपूर की आरती करें फिर गुड़ के भोग का एक हिस्सा ब्राह्मणों और दूसरा परिवारजनों को बांट दें। कहते हैं इस विधि से मां कालरात्रि की बहुत प्रसन्न होती है और रोग, शोक, शत्रु, भय, और आकस्मिक घटनाओं से साधक की रक्षा करती हैं।

मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए साधक को उनकी पूजा में गुड़ और हलवे का भोग जरूर लगाना चाहिए। देवी को भोग लगाने के बाद माता को विशेष रूप से पान और सुपारी भी चढ़ाएं। इसके बाद मां कालरात्रि से मनचाहा वरदान पाने के लिए उनकी कथा, चालीसा का पाठ या फिर उनके मंत्रों का जाप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। पूजा के अंत में मां कालरात्रि की आरती करें और उसमें हुई भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें।

सीमा कुमारी