धर्म-अध्यात्म
Published: Aug 29, 2021 08:00 AM ISTJanmashtami 2021जन्माष्टमी के व्रत के दौरान सूर्यास्त के बाद गलती से भी नहीं पीना चाहिए पानी, जानें व्रत के नियम
-सीमा कुमारी
सम्पूर्ण भारत में ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ (Janmashtami) का त्योहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व 30 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 29 अगस्त, रात 11:25 बजे शुरू होगी, जो 30 अगस्त रात 1:59 बजे तक रहेगी। इसीलिए इस साल श्रीकृष्ण जन्मोत्सव 30 अगस्त को मनाया जाएगा।
हिंदू धर्म में ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ के व्रत का बड़ा महत्व है। भक्तगण पूरा दिन फलाहार करते हैं और रात 12 बजे भगवान के जन्म के बाद व्रत पारण करते हैं। इस दिन श्रद्धालु गण को कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूरा दिन तो जल ग्रहण करने की छूट होती है, लेकिन सूर्यास्त के बाद भगवान के जन्म के समय तक जल ग्रहण करना वर्जित होता है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी के दिन व्रत के कुछ नियम के बारे में –
व्रत नियम
मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नाननादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं और हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें। ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए। मंदिर में देवी- देवताओं को स्नान कराएं और इस दिन आप फलाहार या जलाहार ले सकते हैं। व्रत के दौरान सात्विक रहें और शाम को पूजा करने से पहले एक बार फिर से स्नान कर लें।
कान्हा जी का अभिषेक विधि
भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद उनकी धातु की प्रतिमा को पात्र में रखें। कान्हा जी की प्रतिमा को पहले दूध, दही, शहद, शर्करा और आखिर में घी से स्नान कराएं. कान्हा जी के इसी स्नान को पंचामृत स्नान कहते हैं। पंचामृत स्नान के बाद कान्हा जी को जल से स्नान कराए। इसके बाद पीताम्बर, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें। कान्हा जी को अर्पित करने वाली सभी चीजें शंख में डालकर ही अर्पित करें। जातक को ध्यान रखना चाहिए कि वे काले या सफेद रंग के वस्त्र न पहने हुए हो। इसके बाद अपनी मनोकामना के अनुसार मंत्र जाप करें और प्रसाद ग्रहण करें।