धर्म-अध्यात्म

Published: Apr 19, 2021 08:00 AM IST

Ram Navami 2021कब है रामनवमी? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार, ‘राम नवमी’ (Ram Navami) हिन्दुओं का प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हर साल मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष ‘रामनवमी’ का पावन त्यौहार 21 अप्रैल, बुधवार को देशभर में मनाया जाएगा है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। यही कारण है कि इस तिथि को ‘रामनवमी’ कहा जाता है और भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

इस पवित्र दिन भगवान राम की उपासना के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। भक्तों के द्वारा व्रत रखा जाता है। इस दिन हवन और कन्या पूजन का भी विधान है। आइए जानें ‘राम नवमी’ व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व…

शुभ मुहूर्त-

पूजा का मुहूर्त-

प्रात: 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक

पूजा की कुल अवधि- 02 घंटे 36 मिनट

रामनवमी मध्याह्न का समय- दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर

पूजा विधि-
इस दिन प्रात:काल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को शुद्ध करने के बाद पूजा आरंभ करें। हाथ में अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें। भगवान राम का पूजन आरंभ करें। पूजन में गंगाजल, पुष्प, 5 प्रकार के फल, मिष्ठान आदि का उपयोग करें। रोली, चंदन, धूप और गंध आदि से षोडशोपचार पूजन करें। तुलसी का पत्ता और कमल का फूल अर्पित करें। पूजन करने के बाद ‘रामचरितमानस’ अथवा ‘रामायण’ की पाठ के साथ ‘श्रीहरि:रामरक्षास्तोत्रम’ का पाठ करना अति शुभ माना गया है। पूजा समापन से पूर्व भगवान राम की आरती अवश्य करें।

धार्मिक महत्व-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिन्दू धर्म में ‘रामनवमी’ का पर्व विशेष महत्व रखता है। भगवान राम की शिक्षा और दर्शन को अपनाकर जीवन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। भगवान राम जीवन को उच्च आर्दशों के साथ जीने की प्रेरणा देते हैं। ‘रामनवमी’ (Ram Navami) के पावन पर्व पर भगवान राम की पूजा अर्चना की जाती है। व्रत रख कर भगवान राम की आराधना करने से जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है। शास्त्रों के अनुसार, इन नियमों का पालन करने से भगवान राम की कृपा हम भक्तों पर सदैव बनी रहती है। 

-सीमा कुमारी