धर्म-अध्यात्म

Published: Mar 26, 2021 08:31 AM IST

धर्म-अध्यात्म'सोमवती अमावस्या' के दिन क्यों करते हैं पीपल की परिक्रमा? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और विधि

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

-सीमा कुमारी

सनातन हिंदू धर्म में ‘सोमवती अमावस्या’ का विशेष महत्व है। सोमवार के दिन यह तिथि पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन स्नान, दान व मौन रहने से पुण्य मिलता है। इस साल ‘सोमवती अमावस्या’ 12 अप्रैल, सोमवार को पड़ रही है। हिंदू धर्म के अनुसार, अमावस्या के दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य और पिंडदान किए जाते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की फेरी लगाना, यानी परिक्रमा करना भी बेहद शुभ माना जाता है। चलिए जानते हैं इस दिन क्यों लगाते पीपल के वृक्ष की फेरी, इसका शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि…

 शुभ मुहूर्त ‘सोमवती अमावस्या’ तिथि आरंभ-

11 अप्रैल 2021 दिन रविवार को प्रातः 06 बजकर 05 मिनट से 

‘सोमवती अमावस्या’ तिथि समाप्त-

12 अप्रैल 2021 दिन सोमवार को प्रातः 08 बजकर 02 मिनट तक    

पूजा विधि-
हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना के लिए अमावस्या व पूर्णिमा तिथि को बहुत शुभ बताया गया है। ऐसा कहते हैं कि इस दिन पूजा करने से देवी-देवता शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। मान्यताएं हैं कि इस दिन गंगा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से कई यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होता है। इसलिए इस दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। अगर गंगा स्नान करना संभव नहीं है तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर ‘हर हर गंगे’ का उच्चारण करते हुए स्नान जरूर करना चाहिए। इसके बाद घर या मंदिर में विधि-विधान के साथ पूजा करें। इस दिन सामर्थ्य के हिसाब से गरीबों, साधुओं को जरूर दान देना चाहिए।

महत्व-
हिन्दू धर्म में ‘सोमवती अमावस्या’ का बड़ा महत्व है, शास्त्रों के अनुसार, ‘सोमवती अमावस्या’ का व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए करती हैं। इस दिन पितरों का तर्पण करने और दान करने से परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और घर व परिवार में खुशहाली सुख -शांति बनी रहती है।