धर्म-अध्यात्म
Published: Jul 24, 2022 03:35 PM ISTPradosh Vrat 2022क्यों है सावन का पहला 'प्रदोष' विशेष, महादेव की कृपा के लिए इस विशेष मुहूर्त में करें पूजा
-सीमा कुमारी
गुरुवार, 14 जुलाई से शुरू हो चुका है। पंचांग के अनुसार, सावन महीने का पहला ‘प्रदोष व्रत’ (Sawan First Pradosh Vrat 2022) 25 जुलाई को है। इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हुए शिवजी की विधि-विधान से पूजा करते है। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से भगवान भगवान भोलेनाथ षीघ्र प्रसन्न होते हैं तथा अपने भक्तों की सारी मनोकामना अवश्य पूरी करते है। 25 जुलाई को पड़ने वाला सावन का पहला प्रदोष व्रत कई मायनों में बहुत ख़ास है। आइए जानें सावन का पहला प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और इसकी महिमा।
शुभ मुहूर्त
सावन त्रयोदशी तिथि प्रारंभ
- 25 जुलाई को 04:15 PM बजे से
- 26 जुलाई को 06:46 PM बजे से सावन सोम प्रदोष व्रत
पूजा मुहूर्त
सावन का पहला प्रदोष व्रत 25 जुलाई, सोमवार को किया जाएगा । इस दिन का पूजा मुहूर्त शाम 07:17 से रात 09:21 तक रहेगा।
महिमा
हिंदू धर्म में सावन का माह भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। इसके अलावा सावन का सोमवार भी भगवान शिव की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है। इसी प्रकार प्रदोष व्रत भी भगवान भोलेनाथ की पूजा और उनकी कृपा पाने के लिए उन्हें समर्पित होता है।
पंचांग के अनुसार, सावन माह का पहला प्रदोष व्रत 25 जुलाई को है। इस दिन सोमवार का दिन है। ऐसे में सावन माह, सोमवार दिन और प्रदोष व्रत तीनों एक साथ हों तो पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसके साथ ऐसे बेहद अद्भुत संयोग में पूजा का पुण्य कई गुना अधिक शुभ फलदायी होता है।
पूजा विधि
- प्रदोष वाले दिन प्रातः जल्दी उठाकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- शिव मूर्ति या शिवलिंग को स्नान कराएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- यदि आप व्रत रखें तो दिनभर फलाहार का पालन करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगा जल और पंचामृत से अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें और माता पार्वती समेत पूजन करें।
- प्रदोष काल में शिव जी पूजा करें। प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और प्रदोष काल में आरती करके प्रसाद चढ़ाएं। इसी प्रसाद को स्वयं भी ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
- सावन मास का पहला प्रदोष व्रत 25 जुलाई को हैं। 25 जुलाई को सोमवार पड़ रहा हैं। ऐसे में सावन, सोमवार और प्रदोष व्रत तीनों का खास संयोग बन रहा हैं। ऐसे में पूजा का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया हैं। इस शुभ संयोग में पूजा कई गुना अधिक शुभ फलदायी साबित होगी।