धर्म-अध्यात्म
Published: Apr 05, 2022 07:02 AM ISTChaitra Navratri 2022नवरात्रि के चौथे दिन यश और आरोग्य के लिए 'मां कुष्मांडा' ऐसे करें पूजा, मिलेगी असीम कृपा
सीमा कुमारी
आज यानि मंगलवार, 05 अप्रैल, को ‘चैत्र नवरात्रि’ (Chaitra Navratra) का चौथा दिन है। इस दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप ‘मां कुष्मांडा’ की साधना की जाती है। कहते हैं कि जब सृष्टि नहीं थी और चारों तरफ सिर्फ अन्धकार ही अन्धकार था, तब मां दुर्गा के इसी स्वरुप ने हल्की सी मुस्कान बिखेर कर चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश उत्पन्न कर ब्रह्माण्ड की रचना की। इसीलिए ‘मां कुष्माण्डा’ को आदिस्वरूपा व आदिशक्ति कहा गया।
ऐसा है मां का स्वरुप
कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। मां के पास इन सभी चीजों के अलावा हाथ में अमृत कलश भी है। इनका वाहन सिंह है और इनकी भक्ति से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है।
आदिशक्ति दुर्गा (Maa Durga) के कुष्मांडा रूप में चौथा स्वरूप भक्तों को संतति सुख प्रदान करने वाला माना जाता है। आज के दिन पहले मां का ध्यान मंत्र पढ़कर उनका आहवान किया जाता है और फिर मंत्र पढ़कर उनकी आराधना की जाती है।
Koo AppSurasampurnakalasham Rudhiraplutmev Ch. In Dadhana Hastapadmabhayam Kushmanda Shubhadastu. May Kushmanda ji, the fourth form of Tejaswini and Adishakti and Mother Bhagwati, remove diseases and sorrows from all of you, increase life and fame. #MaaKushmanda– Neeraj Jain Deputy mayor (@neeraj_jain75) 5 Apr 2022
देवी मां की पूजा-विधि
नवरात्र के चौथे दिन माता कुष्माण्डा (Maa Kushmanda) की सभी प्रकार से विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। दुर्गा पूजा के चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की पूजा का विधान उसी प्रकार है जिस प्रकार शक्ति अन्य रुपों को पूजन किया गया है।
Koo AppSurasampurnakalasham Rudhiraplutmev Ch. In Dadhana Hastapadmabhayam Kushmanda Shubhadastu. May Kushmanda ji, the fourth form of Tejaswini and Adishakti and Mother Bhagwati, remove diseases and sorrows from all of you, increase life and fame. #MaaKushmanda– Neeraj Jain Deputy mayor (@neeraj_jain75) 5 Apr 2022
इसके तहत ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि कर्मों के बाद हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करना चाहिए। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प (Puja pledge) लें और फिर मां कूष्माण्डा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
इस दिन भी नवरात्र के अन्य दिनों की तरह सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए। जिसके बाद अन्य देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए, इनकी पूजा के बाद देवी कूष्माण्डा की पूजा करनी चाहिए।