वास्तु-ज्योतिष

Published: May 04, 2023 05:28 PM IST

Chandra Grahan 2023आज साल का पहला चंद्रग्रहण, जानें इस दौरान क्या न करें

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: सनातन धर्म में ‘ग्रहण’ को अशुभ माना जाता है। ग्रहण को लेकर हिंदू धर्म में कई मान्यताएं एवं परम्पराएं है। जिसमें खानपान से लेकर तमाम तरह के नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है। इस साल 2023 का पहला ‘चंद्र ग्रहण'(Chandra Grahan 2023) 5 मई, शुक्रवार के दिन लग रहा है।

साल का पहला चंद्र ग्रहण बुद्ध पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है यानी 5 मई 2023 को साल का पहला चंद्रग्रहण लगेगा। ये चंद्र ग्रहण रात 8 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा और देर रात 1 बजे समाप्त होगा।

वैसे तो चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है, लेकिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।

ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया सिर्फ एक तरफ से होती है, तो उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इसके कारण ये ग्रहण हर जगह नहीं देखा जा सकेगा। ये चंद्र ग्रहण यूरोप, सेंट्रल एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अंटार्कटिका, प्रशांत अटलांटिक और हिंद महासागर में देखा जा सकेगा।

ज्योतिष-शास्त्रों के मुताबिक, ग्रहण के दौरान वातावरण में नेगेटिविटी फैल जाती है और इस दौरान कुछ कामों को अगर किया जाए तो जीवन में कई समस्याओं का सामना तक करना पड़ जाता है। ऐसे में आइए जानें चंद्रग्रहण पर क्या करें और क्या नहीं।

क्या करें और क्या नहीं

ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि इस गलती से शरीर को नुकसान तक झेलना पड़ सकता है। हालांकि, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन फिर भी लोग इन नियमों का पालन करते हैं।

ज्योतिषियों का मानना है कि, भारत में भले ही इस ग्रहण का असर न दिखे लेकिन इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ये जरूर जान लेना चाहिए। इस दौरान खानपान की मनाही होती है और ऐसा माना जाता है कि अगर ये गलती की जाए तो पाचन क्रिया को नुकसान झेलना पड़ सकता है। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान खानपान ही नहीं कई दूसरी बातों का विशेष ख्याल रखने की हिदायत दी जाती है।

ग्रहण के दौरान सोने की भी मनाही होती है और खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को इसका खास ध्यान रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इसका नुकसान मां और बच्चे दोनों को झेलना पड़ सकता है। हालांकि, इसका भी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।