धीरुभाई अंबानी का सपना था कि वह खुद का अपना कारोबार खड़ा करें. उनका जूनून इतना था कि जब वह एक कंपनी में काम कर रहे थे, तो वहां के कर्मियों को 25 पैसे में चाय मिला करती थी. पर वह फिर भी पास के एक दुकान में जाया करते थे, जहाँ चाय 1 रुपये की थी. उनका कहना था कि वहां बड़े-बड़े कारोबारी आते हैं और उनकी बातें सुनकर बहुत कुछ सिखने मिलता है.