<p>[caption id="attachment_164705" align="alignnone" width="700"]<img class="size-full wp-image-164705" src="https://www.enavabharat.com/wp-content/uploads/2020/10/lal-bahadur-sastri-.jpg" alt="आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है. लाल बहादुर शास्त्री ने देश को 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था और अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया था. " width="844" height="482" /> आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है. लाल बहादुर शास्त्री ने देश को 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था और अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया था. [/caption]</p><p>[caption id="attachment_164706" align="alignnone" width="417"]<img class="size-full wp-image-164706" src="https://www.enavabharat.com/wp-content/uploads/2020/10/2016_10image_16_12_458168258lalbahadurshastri-ll.jpg" alt="शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर, 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था. देश की आजादी में लाल बहादुर शास्त्री का खास योगदान है. साल 1920 में शास्त्री भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे. " width="864" height="891" /> शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर, 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था. देश की आजादी में लाल बहादुर शास्त्री का खास योगदान है. साल 1920 में शास्त्री भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे. [/caption]</p><p>[caption id="attachment_164711" align="alignnone" width="710"]<img class="size-full wp-image-164711" src="https://www.enavabharat.com/wp-content/uploads/2020/10/shastri-jpg_710x400xt.jpg" alt=" स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं. वो दिन 11 जनवरी 1966 का था जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत इसी शहर में हुई थी." width="850" height="479" /> <br />स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं. वो दिन 11 जनवरी 1966 का था जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत इसी शहर में हुई थी.[/caption]</p><p>[caption id="attachment_164708" align="alignnone" width="650"]<img class="size-full wp-image-164708" src="https://www.enavabharat.com/wp-content/uploads/2020/10/01_10_2020-lal-bahadur-shastri1_20820344_192432343.jpg" alt="आजादी के बाद वे 1951 में नई दिल्ली आ गए एवं केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला. वह रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे." width="847" height="704" /> आजादी के बाद वे 1951 में नई दिल्ली आ गए एवं केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला. वह रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे.[/caption]</p><p>[caption id="attachment_164712" align="alignnone" width="630"]<img class="size-full wp-image-164712" src="https://www.enavabharat.com/wp-content/uploads/2020/10/5c11f7b3210000d907ca7ad1.jpeg" alt="1964 में जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने. उनके शासनकाल में 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. उस समय देश में भयंकर सूखा पड़ा और खाने की चीजों को निर्यात किया जाने लगा. संकट को टालने के लिए उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की. साथ ही कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया." width="840" height="420" /> 1964 में जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने. उनके शासनकाल में 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. उस समय देश में भयंकर सूखा पड़ा और खाने की चीजों को निर्यात किया जाने लगा. संकट को टालने के लिए उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की. साथ ही कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया.[/caption]</p><p>[caption id="attachment_164707" align="alignnone" width="700"]<img class="size-full wp-image-164707" src="https://www.enavabharat.com/wp-content/uploads/2020/10/lal-bahadur-shastri-1-1443257663_835x547.jpg" alt="वो दिन 11 जनवरी 1966 का था जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत इसी शहर में हुई थी। शास्त्रीजी 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद संघर्ष विराम के समझौते पर हस्ताक्षर करने ताशकंद गए थे। जिस दिन (10 जनवरी, 1966) उन्होंने समझौते के मसौदे पर हस्ताक्षर किए, उसके अगले दिन ही रहस्यमय ढंग से उनकी मृत्यु हो गई।" width="844" height="603" /> वो दिन 11 जनवरी 1966 का था जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत इसी शहर में हुई थी। शास्त्रीजी 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद संघर्ष विराम के समझौते पर हस्ताक्षर करने ताशकंद गए थे। जिस दिन (10 जनवरी, 1966) उन्होंने समझौते के मसौदे पर हस्ताक्षर किए, उसके अगले दिन ही रहस्यमय ढंग से उनकी मृत्यु हो गई।[/caption]</p><p>[caption id="attachment_164703" align="alignnone" width="512"]<img class="size-full wp-image-164703" src="https://www.enavabharat.com/wp-content/uploads/2020/10/unnamed-1.jpg" alt="कारण बताया गया कि हार्ट अटैक आया जबकि उनके निजी चिकित्सक डॉ. आरएन चुघ ने कहा-वे पूरी तरह स्वस्थ थे और ऐसी कोई आशंका नहीं थी। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने जब अंतिम दर्शन किए तो देखा कि शास्त्रीजी की देह नीली पड़ चुकी थी।" width="838" height="481" /> कारण बताया गया कि हार्ट अटैक आया जबकि उनके निजी चिकित्सक डॉ. आरएन चुघ ने कहा-वे पूरी तरह स्वस्थ थे और ऐसी कोई आशंका नहीं थी। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने जब अंतिम दर्शन किए तो देखा कि शास्त्रीजी की देह नीली पड़ चुकी थी।[/caption]</p><p>[caption id="attachment_164704" align="alignnone" width="621"]<img class="size-full wp-image-164704" src="https://www.enavabharat.com/wp-content/uploads/2020/10/l3.jpg" alt="इससे भोजन में जहर देने का अंदेशा पैदा हुआ। एक प्रधानमंत्री की संदिग्ध मौत ने दुनियाभर में सनसनी फैला दी। सवाल उठते देख जांच शुरू हुई। जिस दिन शास्त्रीजी की मृत्यु हुई उस रात दो लोग, उनके चिकित्सक डॉ. चुघ और सेवक रामनाथ उनके साथ थे। वे ही हकीकत के गवाह थे। मगर बाद में डॉ. चुघ की सड़क हादसे में संदिग्ध मौत हो गई और रामनाथ का सिर अज्ञात कार ने ऐसा कुचला कि उनकी स्मृति चली गई।" width="843" height="562" /> इससे भोजन में जहर देने का अंदेशा पैदा हुआ। एक प्रधानमंत्री की संदिग्ध मौत ने दुनियाभर में सनसनी फैला दी। सवाल उठते देख जांच शुरू हुई। जिस दिन शास्त्रीजी की मृत्यु हुई उस रात दो लोग, उनके चिकित्सक डॉ. चुघ और सेवक रामनाथ उनके साथ थे। वे ही हकीकत के गवाह थे। मगर बाद में डॉ. चुघ की सड़क हादसे में संदिग्ध मौत हो गई और रामनाथ का सिर अज्ञात कार ने ऐसा कुचला कि उनकी स्मृति चली गई।[/caption]</p><p>[caption id="attachment_164702" align="alignnone" width="650"]<img class="size-full wp-image-164702" src="https://www.enavabharat.com/wp-content/uploads/2020/10/02_10_2019-lal_bahadur_shastri_19633047_113540230-1.jpg" alt="इन हादसों से शास्त्रीजी की हत्या का संदेह और गहरा गया। जनता से गहरा जुड़ाव रखने वाले प्रधानमंत्री की मृत्यु का रहस्य आज तक नहीं सुलझ सका। अब भी ताशकंद का नाम आते ही शास्त्रीजी याद आ जाते हैं।" width="845" height="702" /> इन हादसों से शास्त्रीजी की हत्या का संदेह और गहरा गया। जनता से गहरा जुड़ाव रखने वाले प्रधानमंत्री की मृत्यु का रहस्य आज तक नहीं सुलझ सका। अब भी ताशकंद का नाम आते ही शास्त्रीजी याद आ जाते हैं।[/caption]</p>