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Published: Oct 03, 2021 03:47 PM IST
Photos महिला के Bronze Statue पर मचा बवाल, जानें लोग क्यों बोले-इतिहास का है अपमान, देखें Photos
बता दें कि मूर्ति को 19वीं सदी में लिखी गई एक कविता के सम्मान में बनाया गया है। एक महिला के नजरिए (Womens point of view) से इस कविता को लिखा गया है।कवि लुइजी मिरकन्तिनी की कविता ‘ला स्पीगोलात्रिचे दी सप्री’ की नायिका एक महिला किसान है जो खेतों से अनाज बिनती है। अचानक वो अपना काम छोड़कर इटली की मशहूर क्रांति (Italy Revolution) में शामिल होती है, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। मूर्ति का विरोध इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि कम कपड़े पहनाए गए हैं। लोगों का कहना है कि इस तरह की प्रतिमा को लगाना इतिहास का अपमान करने जैसा है। उनके अनुसार एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम से जुड़े प्रतीक की पहचान ये महिला किसान कम और अभिनेत्री ज्यादा लग रही है। इस ब्रॉन्ज स्टेच्यू को ऑफ शोल्डर कपड़ों में दिखाया गया है, जो शरीर से चिपके हुए हैं। मूर्ति में दिख रही महिला ने अपना एक हाथ सीने पर रखा हुआ है। इस मूर्ति के विरोधियों का कहना है कि ये कविता की नायिका जैसी नहीं लग रही। इसे ‘सेक्सिज्म’ (महिला विरोधी विचारधारा) से जोड़ा जा रहा है (Italy Literary Heroine)। इसे उन महिलाओं का अपमान तक करार दिया गया है। इटली की नेता लॉरा बोल्द्रिनी का कहना है, ‘यह एक अनुचित मूर्ति है, संदर्भ से बाहर और आपत्तिजनक भी है। आप उस महिला से वह कहानी और गरिमा छीन रहे हैं, जो उसके पास थी।’ रोम की आर्ट अकैडमी की प्रोफेसर और समीक्षक टेरेसा मैक्री ने कहा कि मूर्ति को हटा दिया जाना चाहिए। स्टेच्यू को बनाने वाले आर्टिस्ट एमैनुएल स्तिफानो ने कहा कि वो अपनी आर्ट वर्क को हमेशा कम कपड़ों से ढ़कते हैं, चाहे वो पुरुष के स्टेच्यू हों या इस महिला (Italy Sapri Bronze Statue) के. उन्होंने कहा इस मूर्ति के जरिए वो एक आदर्श महिला उसका गर्व और उसकी चेतना दिखाना चाह रहे थे।
स्टेच्यू के डिजाइन को अधिकारियों ने बाकायदा अपनीमंजूरी दी थी। सोशल मीडिया पोस्ट में एमैनुएल स्तिफानो ने लिखा कि वह आलोचनाओं से निराश और हैरान हैं।वहीं सप्री सिटी के मेयर एंटोनियो जेंटाइल ने कलाकार की प्रतिभा का बचाव करते हुए कहा कि ‘सेक्सिजम देखने वाले की आंखों में है। मेरा मानना है कि मूर्तियों को केवल उन्हीं देशों में गिराया जाता है, जहां लोकतंत्र नहीं है।’ [/caption]