आज की खास खबर

Published: Jun 24, 2021 11:20 AM IST

आज की खास खबरराहुल को गंभीरता से न लेना BJP को पड़ सकता है भारी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की गंभीर और सार्थक बातों को सत्ता के मद में डूबी बीजेपी कभी गंभीरता से नहीं लेती. अपनी सोची-समझी दुष्प्रचार नीति को कोशिश करते हैं कि कांग्रेस के इस नेता को कुछ आता-जाता नहीं और उसे देश की जमीनी सच्चाइयों की कोई जानकारी नहीं है. ऐसा करने के पीछे उनका यही मकसद है कि राहुल कहीं बीजेपी नेतृत्व के लिए चुनौती न बन जाएं. ऐसा पूर्वाग्रह व नफरत रखना कदापि उचित नहीं है. देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी अपने कट्टर आलोचक व समाजवादी नेता डा. राममनोहर लोहिया की विद्वत्ता की कद्र करते थे. कोरोना संकट की घड़ी में यदि राहुल गांधी कुछ अच्छे सुझाव देते हैं तो उसे सिरे से ठुकरा देना कहां तक उचित है? जब कोई बात देशहित में हो तो कम से कम उस पर विचार तो करना चाहिए. यदि सुझाव न जंचे तो न मानें. कोई जबरदस्ती तो नहीं है.

तीसरी लहर को लेकर सतर्क किया

राहुल गांधी ने कोरोना क तीसरी लहर को लेकर केंद्र सरकार को सतर्क किय है. उन्होंने एक विस्तृत क्षेत्र पत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि उनका मकसद उंगली उठाना नहीं, बल्कि मदद करना है. सरकार को आनेवाली तीसरी लहर से निपटने की पूरी तैयारी करनी चाहिए. पहली लहर में आक्सीजन और दवा की जिस तरह किल्लत रही, वह आगे नहीं होनी चाहिए. पिछली लहरों में कोविड मैनेजमेंट में लापरवाही बरती गई और वह विनाशकारी रहा. वैज्ञानिकों ने पहली के बाद दूसरी लहर आने के बारे में सचेत किया था लेकिन सरकार की तैयारी उसके मुताबिक नहीं रही.

4 प्रमुख बातें सुझाईं

श्वेतपत्र में कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए पर्याप्त पूर्व तैयारी करने को कहा ग्या. गरीबों व छोटे व्यापारियों को आर्थिक मदद देने तथा कोविड मुआवजा कोष बनाने की सुझाव दिया गया. यह बात सही है कि कोरोना के सामने गरीब असहाय हो जाता है. एक तरफ बीमारी और दूसरी ओर साधनहीनता. बीमार पड़े तो इलाज के लिए पैसे नहीं, दूसरी ओर भूखे मरने की भी नौबत आती है. लॉकडाउन में गरीबों और छोटे व्यापारियों को कहीं से भी सहारा नहीं मिलता. कोविड मुआवजा कोष का सुझाव इसलिए सही है क्योंकि बीमा कंपनियों ने भी अधिकांश कोरोना पीड़ितों को भुगतान देने से मना कर दिया. जब कोई न कोई कारण बताकर कंपनियां इनकार करेंगी तो बीमा कराने से भी क्या फायदा! एक तो कोरोना की बीमारी शरीर को जर्जर कर देती है और दूसरी ओर महंगा इलाज भी मरीज व उसके परिजनों की कमर तोड़कर रख देता है. राहुल गांधी ने सिस्टम या व्यवस्था में सुधार की मांग करते हुए कहा कि पिछले समय की गलतियों के कारणों का पता लगाया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि आगे इस तरह की गलतियां नही होंगी.

आंसू नहीं आक्सीजन चाहिए

राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना से जिंदगी और मौत के बीच जूझते लोगों को प्रधानमंत्री के आंसुओं की नहीं बल्कि आक्सीजन की जरूरत है. पीएम केवल अपनी मार्केटिंग में व्यस्त रहते हैं. जिस समय लोग बड़ी तादाद में सड़कों, अस्पतालों में आक्सीजन के बगैर दम तोड़ रहे थे तब पीएम बंगाल में रैलियां कर रहे थे. जब पहली बार कोरोना ने देश में दस्तक दी, तब वे काम की बजाय थाली-ताली बजा रहे थे. इतने संकट में भी सरकार बीजेपी-गैरबीजेपी की लड़ाई लड़ रही है. यह देश यहां के लोगों का है. यह न कांग्रेस का है, न बीजेपी का! लोगों की परेशानी दूर होनी चाहिए.

बीजेपी ने श्वेतपत्र ठुकराया

कांग्रेस के इस श्वेतपत्र को बीजेपी ने ठुकरा दिया और कहा कि कांग्रेस को श्वेतपत्र 1984 के सिख दंगों और अपनी दूसरी कमियों पर लाना चाहिए. उन्हें श्वेतपत्र लाने का कोई अधिकार नहीं है. वे खुद कोरे कागज हैं.