आज की खास खबर

Published: Apr 27, 2023 03:05 PM IST

आज की खास खबरवर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षाएं, क्या इससे छात्रों का तनाव कम होगा?

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

स्कूल शिक्षा 2023 के लिए ड्राफ्ट, राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (एनसीएफ) में स्कूलिंग के विभिन्न स्तरों पर मूल्यांकन में महत्वपूर्ण परिवर्तनों की सिफारिश की गई है. एनसीएफ के मुख्य प्रस्तावों में शामिल हैं छात्रों का ऑर्टस्, कॉमर्स व साइंस में अधिक स्वतंत्रता के साथ इधर से उधर जाना; आत्म-मूल्यांकन में वृद्धि और साल में कम से कम दो बार बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन. यह अच्छे लक्ष्य प्रतीत होते हैं लेकिन कारगर तभी होंगे जब इनकी डिटेल्स दुरुस्त हों और छात्रों व अध्यापकों को साथ लेकर चला जाये. वर्तमान में छात्र हाई स्कूल के बाद ऑर्टस्, कॉमर्स या साइंस में से किसी एक स्ट्रीम का चयन करता है. ड्राफ्ट एनसीएफ इस परम्परा को तोड़ता है और कक्षा 9-10वीं और 11-12वीं के लिए 8 पाठ्यक्रम क्षेत्रों की सिफारिश करता है. कक्षा 11-12वीं में छात्र 8 पाठ्यक्रम क्षेत्रों में से 16 चयन-आधारित कोर्सेज़ का विकल्प ले सकता है, जिन्हें 4 सेमेस्टर्स में कवर किया जायेगा. प्रत्येक चयन-आधारित कोर्स एक सेमेस्टर में कवर होगा. लेकिन कक्षा 9-10वीं के लिए वार्षिक शेड्यूल का पालन होगा, क्योंकि सभी छात्रों को समान कोर्सेज़ करने होंगे.

कक्षा 10 व 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में अंकों की गणना संचयी प्रदर्शन (क्यूमिलेटिव परफॉर्मेंस) के आधार पर की जायेगी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 से प्रेरित ड्राफ्ट एनसीएफ ने वर्ष के अंत में एक परीक्षा की जगह मोडयूलर परीक्षाओं की सिफारिश की है. ड्राफ्ट एनसीएफ में प्रस्तावित है कि गणित को ऑर्टस्, भाषा व स्पोर्ट्स एजुकेशन के साथ भी पढ़ाया जाये ताकि छात्रों में से इस विषय का डर निकाला जा सके और बुनियादी साक्षरता व संख्यात्मक कौशल विकसित किया जाए. ड्राफ्ट एनसीएफ में गणित को चरणबद्ध अंदाज में पढ़ाने पर बल दिया गया है.

शुरुआत फाउंडेशनल स्टेज से की जायेगी, जिसमें अंकों को जोड़ने व घटाने पर फोकस किया जायेगा. इसके बाद गुणा, भाग, आकार व माप पर ध्यान दिया जायेगा. बीच के चरण में कांसेप्ट्स सिखाये जायेंगे और फिर दावों को उचित ठहराने की क्षमता व लॉजिकल रीजनिंग आदि पर फोकस किया जायेगा. ड्राफ्ट एनसीएफ में गणित के डर को दूर करना मुख्य चुनौती में शामिल किया गया है. गणित को विज्ञान से अधिक कला के रूप में स्वीकार करते हुए ड्राफ्ट में कहा गया है कि गणित से डर उसकी प्रकृति और जिस प्रकार उसकी शिक्षा दी जाती है की वजह से है. अगर गणित की सही से शिक्षा दी जाये तो इसे पढ़ने में आनंद आता है और यह जीवनभर का पैशन भी बन जाता है.

ड्राफ्ट में कहा गया है, ‘अधिकतर मूल्यांकन तकनीक व प्रश्न तथ्यों, प्रक्रिया व फ़ॉर्मूले याद करने पर फोकस करते हैं लेकिन मूल्यांकन समझ, रीजनिंग और विभिन्न संदर्भों में गणित का प्रयोग कब व कैसे पर होना चाहिए.’ कक्षा 9 और 10वीं के लिए 8 पाठ्यक्रम क्षेत्र हैं- ह्यूमैनिटीज, गणित व कंप्यूटिंग, वोकेशनल एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन, ऑर्टस् एजुकेशन, सोशल साइंस, साइंस और इंटरडिसिप्लिनरी एरियाज. कक्षा 11 व 12वीं के लिए भी यही 8 पाठ्यक्रम क्षेत्र हैं, केवल इस अंतर के साथ कि फिजिकल एजुकेशन की जगह स्पोर्टस् है. बहरहाल कक्षा 11 और 12वीं में छात्र अपने कोर्सेज स्वयं डिजाइन कर सकते हैं. इसे इस तरह से समझें कि अगर छात्र साइंस (पाठ्यक्रम क्षेत्र) का चयन करता है और फिजिक्स चयन-आधारित विषय के तौर पर लेता है तो वह दूसरा पाठ्यक्रम क्षेत्र आर्टस् ले सकता है, संगीत को चयन आधारित विषय के साथ. तीसरा पाठ्यक्रम क्षेत्र गणित हो सकता है और चौथा चयन-आधारित विषय किसी भी पाठ्यक्रम क्षेत्र से हो सकता है जो पहले लिया हुआ भी हो सकता है या पूर्णतया अलग भी हो सकता है.

हर पाठ्यक्रम क्षेत्र में 4 कोर्सेज होंगे ताकि छात्र को उसकी गहन जानकारी हो जाये. हर कोर्स की अवधि एक सेमेस्टर की होगी. चयन आधारित विषयों का अर्थ यह नहीं है कि छात्रों ने उससे जुड़े विषयों का भी चयन कर लिया है. दूसरे शब्दों में बायोलॉजी कोर्स का मतलब यह नहीं है कि केमिस्ट्री में भी प्रवेश मिल गया है.

इसके विपरीत अगर छात्र सोशल साइंसेज को पाठ्यक्रम क्षेत्र के रूप में चुनता है और उसमें इतिहास चयन आधारित विषय है तो वह ह्यूमैनिटीज़ को दूसरे पाठ्यक्रम क्षेत्र के रूप में ले सकता है. तीसरा कोर्स गणित और चौथा विषय किसी भी किसी भी पाठ्यक्रम क्षेत्र से हो सकता है. ड्राफ्ट एनसीएफ के समर्थन में सबसे बड़ी दलील यह दी जा रही है कि इससे बोर्ड परीक्षा के तनाव में कमी आयेगी. पिछले साल जब विशाल सीयूईटी-यूजी (सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट- अंडरग्रेजुएट) सुधार लाया गया था तब भी बोर्ड परीक्षा का तनाव कम करने की दलील दी गई थी लेकिन तनाव कम होने की बजाय अधिक बढ़ गया. इसके बावजूद इस साल इसमें भाग लेने वाली संस्थाओं की संख्या 92 से बढ़कर 242 हो गई है. फिर भी बोर्ड परीक्षाओं का अतिरिक्त ओवरहौल सोच समझकर होना चाहिए.

– शाहिद ए चैधरी