आज की खास खबर

Published: Dec 27, 2021 01:28 PM IST

आज की खास खबर केंद्र सरकार फिर लाएगी कृषि कानून

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

यह कैसा दुराग्रह है कि केंद्र सरकार एक बार फिर कृषि कानून लाने की फिराक में है! यदि ऐसी बात है तो प्रधानमंत्री ने किसानों से माफी मांग कर कृषि कानून वापस लिए ही क्यों? माना तो यही जा रहा है कि यूपी और पंजाब के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान की आशंका देखकर पीएम ने कदम पीछे हटाते हुए इन कानूनों को वापस लिया था! एक वर्ष से ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन की उपेक्षा की जाती रही, 700 से अधिक किसानों की धरना देते हुए भीषण ठंड, बीमारी आदि से मौत हो गई लेकिन सरकार का दिल नहीं पसीजा था.

किसानों के धरने से दिल्ली वासियों को यातायात की जो तकलीफ हो रही थी, उसकी भी सरकार को चिंता नहीं थी. प्रधानमंत्री एक बार भी किसानों के सामने नहीं आए, केवल अपने मंत्रियों को किसान नेताओं से चर्चा के लिए भेजते रहे. जिस तरह 3 कृषि कानून संसद में बिना किसी चर्चा के आपाधापी में पास कराए गए थे, वैसे ही बगैर बहस कराए सिर्फ 4 मिनट में वापस ले लिए गए. विपक्ष की दोनों ही अवसरों पर उपेक्षा की गई. यदि कृषि कानून इतने ही महत्वपूर्ण थे तो उन्हें चयन समिति के पास क्यों नहीं भेजा गया था? सुप्रीम कोर्ट ने भी डेढ़ वर्ष तक कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी लेकिन फिर भी किसान आंदोलन से पीछे नहीं हटे थे.

दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है लेकिन इतना जबरदस्त आंदोलन देखने के बाद भी सरकार यदि फिर से कृषि कानून लाने का मन बना रही है तो ऐसा कदम ‘आ बैल मुझे मार’ के समान होगा. उगलने के बाद फिर निगलने की यह कौनसी नीति है? निश्चित रूप से केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने प्रधानमंत्री मोदी की स्वीकृति व सहमति से एक बार फिर कृषि कानून लाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि आजादी के 70 वर्ष बाद प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह एक बहुत बड़ा सुधार लाया गया था लेकिन सरकार निराश नहीं है. हम एक कदम पीछे हट गए थे लेकिन हम फिर आगे बढ़ेंगे.

कांग्रेस ने विरोध जताया

कांग्रेस ने कहा कि 380 दिन तक चले आंदोलन और 700 से अधिक किसानों की वीरगति के बाद निरंकुश मोदी सरकार ने भयभीत होकर कृषि कानूनों को वापस लिया लेकिन वह विधानसभा चुनावों के बाद पूंजीपतियों के दबाव में पुन: कृषि कानूनों को लाएगी. कांग्रेस मोदी सरकार की झूठ-मूठ और लूट की राजनीति का भंडाफोड़ करेगी. 5 राज्यों के चुनाव में किसान और जनता वोट की चोट से सबक सिखाएंगे.

भारतीय किसान संघ की पहल

आरएसएस के आनुषंगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने कृषि सुधारों की जरूरत को लेकर 1 से 10 जनवरी तक गांव-गांव में जनजागरण अभियान चलाने की घोषणा की है. सवाल है कि जब किसानों का धरना आंदोलन जारी था तब भारतीय किसान संघ ने ऐसा जनजागरण क्यों नहीं किया? किसानों ने कृषि कानून वापसी के पीएम के एलान के बाद आंदोलन वापस लिया. अब फिर से कृषि कानून लाना वादाखिलाफी होगी. सरकार ने एमएसपी मुद्दे पर समिति गठित करने का वादा कई हफ्ते बीत जाने पर भी लागू नहीं किया. कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी, आरएसएस और मोदी सरकार चोर दरवाजे से कृषि कानून लाना चाहते हैं. सरकार को लगता है कि इतने लंबे आंदोलन से थक चुके किसान दोबारा आंदोलन नहीं करेंगे और चुनाव के बाद वह अपने मन की कर लेगी.

किसान संगठन चुनावी मैदान में

दिल्ली सीमा पर सफल आंदोलन कर लौटे पंजाब के 32 में से 25 किसान संगठनों ने राजनीति में सीधे शामिल होने की घोषणा की है. यह पंजाब की राजनीति का एक नया पहलू होगा. अभी वहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी और बीजेपी अपनी किस्मत आजमाएंगी. किसानों का नया संयुक्त समाज मोर्चा यदि चुनाव लड़ेगा तो कितनी ही पार्टियों के वोट काटेगा. वैसे आंदोलन की सफलता को राजनीतिक सफलता में बदल पाना आसान नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अलग दल बनाकर बीजेपी का समर्थन हासिल किया है. कांग्रेस में मुख्यमंत्री चेन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोतसिंह सिद्धू की पट नहीं रही है. केजरीवाल की पार्टी ‘आप’ पंजाब में अवसर तलाश रही है. ऐसे घालमेल के बीच किसानों का अलग मोर्चा बहुतों का खेल बिगाड़ सकता है.