आज की खास खबर

Published: May 31, 2022 03:46 PM IST

आज की खास खबरमुस्लिमों के विरोध के बावजूद, शीघ्र ही कॉमन सिविल कोड

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

कितने ही दशकों से बीजेपी 3 मुद्दों को अपना प्रमुख लक्ष्य बनाए हुए थी. इनमें से 2 मुद्दों- कश्मीर से धारा 370 हटाने और अयोध्या की राम जन्मभूमि पर भव्य राममंदिर का निर्माण शुरू करने में उसने सफलता अर्जित की है. तीसरा मुद्दा देश में कॉमन सिविल कोड या समान नागरी कानून का था, जिसे भी वह पूरा करने की तैयारी में है. इसमें कोई शक नहीं कि चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, बीजेपी जो ठान लेती है वह देर-सबेर करके दिखाती है. इनमें से कोई भी लक्ष्य मामूली नहीं था. 

इनके पीछे राष्ट्रीय एकात्मता व स्वाभिमान की भावना रही है. बीजेपी ने देश में चली आ रही तुष्टिकरण की नीति को खत्म किया और प्रधानमंत्री मोदी के सशक्त नेतृत्व में अपने एजेंडे पर बढ़ चली. विरोध की उसने परवाह नहीं की. राम मंदिर मसले का हल सुप्रीम कोर्ट से निकल गया. संसद में भारी बहुमत से प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति की स्वीकृति से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को समाप्त किया गया. अब बारी है देश में समान नागरी संहिता लागू करने की, जिसके लिए सरकार तैयारी कर चुकी है.

जमीयत की नाराजगी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने देवबंद की अपनी बैठक में प्रस्ताव पारित कर कहा कि समान नागरिक कानून किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं होगा. इसे लागू करना इस्लाम में दखलंदाजी जैसा होगा. यह कानून संविधान की धारा 25 में दी गई धार्मिक आजादी के खिलाफ है. केंद्र में सत्तारूढ़ दल के नेता पर्सनल लॉ को खत्म करने की मंशा से समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की बात कर रहे हैं. जमीयत के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा कि देश में निगेटिव पॉलिटिक्स के लिए मौके की तलाश की जा रही है. इससे देश की शांति व्यवस्था और भाईचारे को नुकसान होगा.

क्या है समान नागरी संहिता

संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों की धारा 44 में इसका वर्णन करते हुए कहा गया है कि भारत के संपूर्ण प्रदेशों के नागरिकों के लिए समान नागरी संहिता प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा. इस कॉमन सिविल कोड से देश के सभी नागरिकों को विवाह, विवाह की आयु, तलाक, भरण-पोषण भत्ता, उत्तराधिकार, सह-पालकत्व, बच्चों को पास रखने का हक, परिवार की संपत्ति का विभाजन, वसीयत, धर्मादाय आदि मुद्दों पर समान कानून रहेगा. इसके लागू होने पर समूचे देश के व्यक्तियों के लिए बिना भेदभाव के एक समान कानून अमल में आ जाएगा. इसमें बहुविवाह गैरकानूनी होगा. तलाक संबंधी नियम किसी भी धर्म के व्यक्ति के लिए समान होंगे. विवाह की न्यूनतम आयु भी एक जैसी रहेगी. इन सब कारणों से जमीयत का विरोध है. वे इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप मानते हैं.

बीजेपी का प्रमुख एजेंडा

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि समान नागरी कानून बीजेपी का मुख्य एजेंडा है. सरकार किसी भी कीमत पर इसे लागू करेगी. इसके लिए तैयारी जारी है. सरकार इस कानून के संबंध में विधेयक संसद के सत्र में कभी भी पेश कर सकती है. इस कानून का परीक्षण करने के लिहाज से उत्तराखंड में एक समिति गठित की गई है. इस समिति के लिए मार्गदर्शक तत्वों का मसौदा केंद्र सरकार के पास होने की अटकल लगाई जाती है. सरकार की इच्छानुसार बीजेपी शासित उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश में समितियां गठित किए जाने की संभावना है. इन राज्यों ने पहले ही समान नागरी संहिता के लिए पहल की है. केंद्र ने समिति की स्थापना संबंधी मार्गदर्शन किया है.

राज्य स्तर पर समितियां

समान नागरी संहिता के लिए विधि आयोग से भी रिपोर्ट लेने का सरकार का मानस था लेकिन 2020 में विधि आयोग की पुनर्रचना होने से राज्य स्तर पर समितियां स्थापित की गई हैं. यह कहा गया है कि इन समितियों का स्वरूप विधि आयोग सरीखा ही रहेगा. इस समिति में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश प्रमोद कोहली, पूर्व आईएएस शत्रुघ्न सिंह तथा दून विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर सुरेखा डंगवाल का समावेश है.