आज की खास खबर

Published: Mar 20, 2023 04:07 PM IST

आज की खास खबरकोहिनूर को बताएगा विजय का प्रतीक, उपनिवेशवादी ब्रिटेन की बेशर्मी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

ब्रिटेन को अपने उपनिवेशवाद और अमानवीय शोषण पर शर्म आनी चाहिए जिसके तहत उसने आधी दुनिया पर नृशंसतापूर्वक राज किया था तथा एशिया व अफ्रीका के देशों को अपना गुलाम बना रखा था. अपने स्वार्थ व अहंकार में डूबकर उसने भीषण अत्याचार किए थे और लुटेरों को भी पीछे छोड़ दिया था. ब्रिटिश उपनिवेशवाद का इतिहास शौर्य का नहीं, बल्कि छल-कपट का है.

व्यापार करने के नाम पर ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में आई. प्लासी की लड़ाई में मीर जाफर जैसे गद्दार की मदद लेकर नवाब सिराजुद्दौला को हराया और फिर ‘फूट डालो राज करों’ की नीति अपनाते हुए देश पर कब्जा कर लिया था. भारत में वाइसराय बना लार्ड क्लाइव स्वयं एक शातिर चोर और लुटेरा था. यदि ग्वालियर और जयपुर राजघराने ने अंग्रेजों का साथ न दिया होता तो 1857 में ही अंग्रेज पराजित हो गए होते.

पं. सुंदरलाल की पुस्तक ‘भारत में अंगरेजी राज’ में बताया गया है कि 1857 के गदर के बाद भीषण दमन चक्र चलाया गया और गांव-गांव में वृक्षों की डाल पर इतने लोगों को फांसी पर लटकाया गया कि पेड़ कम पड़ गए. ब्रिटिश शासन ने लाखों निर्दोषों की जान ली. जलियांवाला बाग में बैसाखी त्योहार पर एकत्र हुए हजारों लोगों को जिनमें महिलाएं, दुधमुंहे बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे अंग्रेजों ने मशीनगन से भून दिया था. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान चर्चिल के आदेश पर बंगाल का सारा अनाज जहाजों में लादकर ब्रिटिश फौजियों के लिए भेज दिया गया था. इससे बंगाल में लाखों लोगों की भूख से मौत हो गई थी. अंग्रेज बड़े गर्व से कहते थे कि उनके राज में सूरज नहीं डूबता.

अब अपनी लूटखसोट को बेशर्मी के साथ उजागर करते हुए ब्रिटेन के शाही परिवार की प्रदर्शनी 26 मई से लोगों के देखने के लिए खोली जाएगी. इसमें ब्रिटिश राजघराने के बाकी क्राउन ज्वेल्स के साथ कोहिनूर हीरे को भी विजय के प्रतीक के रूप में पेश किया जाएगा. वीडियो प्रेजेंटेशन के जरिए कोहिनूर का इतिहास भी बताया जाएगा कि कैसे यह मुगल सम्राट मोहम्मद शाह के पास से ईरानी लुटेरे नादिरशाह के पास गया और फिर अफगानिस्तान के शासक के पास से पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के पास आया.

अंत में महारानी जिंदा को कैद कर अंग्रेज अपने साथ राजकुमार दलीपसिंह को इंग्लैंड ले गए और उससे कोहिनूर हथिया कर ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को भेंट कर दिया. दलीपसिंह को ईसाई बना दिया गया और विलासी जीवन जीने की आदत डाल दी गई. कायदे से कोहिनूर पर भारत का हक है. यह अनमोल हीरा यहीं की खान से निकला था लेकिन उसे भारत को लौटाने की बजाय उसे प्रदर्शनी में ब्रिटेन की विजय के प्रतीक के रूप में पेश किया जाएगा. कहना होगा कि ब्रिटेन की निंदनीय औपनिवेशिक मानसिकता आज भी कायम है लेकिन उस पर लज्जा महसूस करने की बजाय वह उस पर गर्व करता है.