आज की खास खबर

Published: May 30, 2022 03:37 PM IST

आज की खास खबरराज्य में नेता दमदार नहीं, मोदी के नाम से ही लड़े जाएंगे विधानसभा चुनाव

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

इसमें कोई शक नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी ही बीजेपी रूपी जहाज के असली कप्तान हैं. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के अलावा विभिन्न राज्यों में जनता ने मोदी से प्रभावित होकर ही बीजेपी को वोट दिया. केवल यूपी में योगी आदित्यनाथ को छोड़ दिया जाए तो अन्य राज्यों में बीजेपी नेता उतने दमदार नहीं हैं. इसलिए कोई भी जोखिम न लेते हुए तय किया गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी पहले से भावी मुख्यमंत्री का नाम घोषित नहीं करेगी बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़े जाएंगे. इससे फायदा यह होगा कि पार्टी में गुटों का टकराव नहीं होगा तथा मुख्यमंत्री पद के लिए नेताओं के बीच होड़ भी नहीं होगी कोई एक दूसरे की टांग नहीं खींचेगा.

मोदी के नाम पर पार्टी चुनाव जीतेगी तो आगे चलकर किसी को भी सीएम बनाया जा सकता है. बीजेपी नेतृत्व ने यह फैसला काफी सोच समझ कर लिया है क्योंकि राजस्थान और कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को लेकर घमासान चल रहा है. अन्य राज्यों में भी महत्वाकांक्षी नेताओं के कई गुट बन गए हैं. मध्यप्रदेश में गुटबाजी तेज है जबकि छत्तीसगढ़ में स्थित अस्पष्ट बनी हुई है. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने साफ कह दिया कि चुनावी रणनीति के लिहाज से कभी-कभी मुख्यमंत्री के चेहरे घोषित किए जाते थे और कभी नहीं भी किए जाते. ऐसे में आगामी सभी चुनाव मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना ही लड़े जाएंगे. यह बात भी गौर करने लायक है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और कर्नाटक में बसवराज बोम्मई ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो पार्टी को चुनाव में जिताकर नहीं लाए लेकिन अभी सीएम हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में 8 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं. इन वर्षों में देश में बीजेपी लगातार मजबूत होती रही है. इसके बावजूद विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व तथा बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी 2024 के आम चुनाव में मोदी के नेतृत्व के लिए कड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं. वैसे पीएम के सामने अभी 2 वर्ष का वक्त है कि वे प्रतिकूलता को किसी न किसी प्रकार अनुकूलता में बदल कर दिखाएं. पहले 2014 और उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की जबरदस्त जीत ने दिखा दिया कि जनादेश में कोई बदलाव नहीं आया है. पहले की तुलना अधिक राज्य बीजेपी के हाथों में आते चले गए. यूपी जैसे महत्वपूर्ण राज्य में जहां लोकसभा की 80 सीटें है, बीजेपी का आधार काफी मजबूत है.

लोगों तक सेवाएं बेहतर तरीके से पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग किया. जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, गरीबों को मुफ्त में अनाज, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर से राज्यों में मोदी की लोकप्रियता बढ़ी. बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक से जनता के विश्वास की पुष्टि हुई कि देश सुरक्षित हाथों में है. मोदी के आलोचक भी यह मानने के लिए मजबूर है कि देश ने विकास की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. इन वर्षों के दौरान विश्वस्तरीय महामार्ग बने हैं तथा रेल्वे स्टेशनों की शक्ल बदली है. बैंकिंग सुविधाजनक हुई है. पेयजल सप्लाई में सुधार आया है. यदि कोरोना महामारी का अवरोध न आया होता तो देश और तरक्की कर सकता था.

इतने पर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक स्वतंत्रता को लेकर भारत की आलोचना होती रही हैं. विश्व प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत पहले 79वें स्थान पर था जो 2020 में 105वें स्थान पर आ गया. ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की वैश्विक भ्रष्टाचार सूची में भारत 2014 में 85वें स्थान पर था और 2021 में भी इसी स्थान पर रहा. 162 देशों के बीच भारत की राजनीतिक व नागरी आजादी पर फ्रीडम हाउस की रेटिंग 2021 में 67 और इस वर्ष 66 रही. कश्मीर मुद्दे पर सरकार के कदमों को भारत की जनता सही मानती है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे मानवाधिकार हनन माना जाता हैं. स्थितियां चाहे जैसी भी हों, प्रधानमंत्री मोदी के कदमों की दृढ़ता से सारा विश्व अवगत है.