आज की खास खबर

Published: Feb 27, 2024 10:35 AM IST

आज की खास खबरसंदेशखाली प्रकरण में ममता की निष्ठुरता

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

बंगाल के उत्तर 24 परगना का संदेशखाली (Sandeshkhali) ब्लॉक लगातार चर्चा में है। पहले इस चर्चा का कारण संदेशखाली के स्थानीय टीएमसी नेता शाहजहां शेख के घर पर राशन घोटाले के कारण ईडी द्वारा मारा गया छापा था, जिस पर उसके 200 से ज्यादा समर्थकों ने ईडी की टीम पर जानलेवा हमला कर दिया था।  जबकि दूसरी बार चर्चा का कारण कई स्थानीय महिलाओं का शाहजहां शेख के साथ ही दो अन्य टीएमसी नेताओं द्वारा किया गया यौन शोषण और कुछ दूसरे गरीब लोगों की जमीन हड़पने की घटनाएं हैं। 

इसके अलावा त्रिपुरा से बंगाल के सिलिगुड़ी स्थित बंगाल सफारी में लाये गए दो शेरों के नाम क्रमशः अकबर और सीता रखे जाने से स्थानीय लोगों का फूटा आक्रोश भी है।  हैरानी की बात यह है कि इन मामलों में कोलकाता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को लताड़ भी लगाई है।  इसके बावजूद सरकार पूरे मामले को विरोधियों का प्रोपेगंडा बताकर इसे गंभीरता से नहीं ले रही।  महिलाओं द्वारा पूरे एक पखवाड़े से किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के बावजूद अभी तक शाहजहां शेख गायब है, जबकि दो दूसरे नेताओं शिबू हाजरा और उत्तम सरदार सहित 17 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।  बंगाल पुलिस शाहजहां शेख को नहीं खोज पा रही।  जो 2 माह से फरार है।  अब तक उसके खिलाफ 100 से ज्यादा मुकदमें दर्ज किए जा चुके हैं और हाईकोर्ट तक बंगाल सरकार को लताड़ चुकी है, बावजूद इसके न तो ममता बनर्जी के कान में जूं रेंग रही है और न ही उनकी सरकार मुस्तैदी दिखा रही है। 

इसके उलट ममता बनर्जी लगातार एक ही रट लगाये हुए हैं कि उनके खिलाफ यह सब भाजपा का दुष्प्रचार है।  उन्हें न तो स्थानीय महिलाओं द्वारा रो रोकर सुनाया गया अपना हाल संवेदनशील बना पा रहा है और न ही मानवाधिकार आयोग की टीम द्वारा लगाये गए गंभीर आरोपों की ही वो परवाह कर रही हैं।  हाई कोर्ट द्वारा लताड़े जाने के बावजूद बंगाल सरकार पीड़ितों तक माकपा और भाजपा के नेताओं को न पहुंचने देने पर  ही अपनी पूरी ताकत झोंक रही है।  संदेशखाली के इर्दगिर्द तीन किलोमीटर के दायरे में प्रदेश सरकार ने 5000 से ज्यादा पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया है, ताकि कम्युनिस्ट और भाजपा के नेता पीड़ितों से मुलाकात न कर सकें।  लेकिन दीदी की यह रणनीति काम नहीं आ रही। 

कोई कार्रवाई नहीं

पूरे मामले में कोई त्वरित कार्यवाई करने के बजाय बंगाल सरकार पूरे मामले पर ध्यान न देने की रणनीति अपना रही हैं।  जबकि 8 फरवरी से ही संदेशखाली की एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं ने शाहजहां से उत्तम सरदार और शिबू हाजरा पर यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के गंभीर आरोप लगाए थे और तब से ये महिलाएं सार्वजनिक रूप से इनके खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। 

लोगों का आरोप है कि सरकार ने शाहजहां शेख को बांग्लादेश पहुंचा दिया है।  जब बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस ने यहां के स्थानीय लोगों से मुलाकात की और मीडिया के साथ बातचीत करते हुए टिप्पणी की रवींद्रनाथ टैगोर की धरती पर मां और बहनों के साथ ये कैसा हो सकता है? इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली मामले पर लगायी गई याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि इस मामले की मणिपुर के साथ तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि इस मामले में कोलकाता हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है।

  लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी पश्चिम बंगाल सरकार की न तो आरोपियों के विरूद्ध कोई सख्ती देखने को मिली है और न ही वह इस बात को कहने से बाज आ रही है कि यह सब राजनीति से प्रेरित मामला है।  पता नहीं तृणमूल कांग्रेस पर आगामी चुनावों को जीतने के लिए कितना ज्यादा प्रेशर है कि वह उन सामान्य राजनीतिक प्रोटोकाॅल्स को भी भूल गई है, जिनका सत्ता में रहते हुए पालन करना जरूरी होता है।  वास्तव में यह मामला इस कदर उग्र प्रदर्शन का और पूरे देश में गुस्से का कारण नहीं बनता अगर 22 फरवरी को 20 मिनट का वीडियो न वारयल हुआ होता, जिसमें संदेशखाली की कई महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाई। 

– वीना गौतम