आज की खास खबर

Published: Sep 27, 2023 01:25 PM IST

आज की खास खबरअवॉर्ड के लिए बुढ़ापे का इंतजार क्यों

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

देव आनंद के जन्म शताब्दी वर्ष पर उनके साथ 7 फिल्मों में हीरोइन रहीं वहीदा रहमान की सरकार को याद आई. वहीदा को 85 वर्ष की उम्र में दादासाहब फालके पुरस्कार से नवाजने का फैसला निश्चित रूप से अत्यंत विलंब से लिया गया. ऐसा क्यों? क्या पुरस्कार दादासाहब के नाम पर है इसलिए दादी की उम्र को पहुंचने के बाद ही किसी अभिनेत्री को दिया जाए ? वहीदा को जवानी में पुरस्कार मिलता तो कैसी व्यवस्था है जिसमें हीरोइन की बुजुर्गियत का इंतजार किया जाता है!

वहीदा की खासियत है कि उन्होंने अपने बाल कभी कलर नहीं किए. एक अवसर पर सुनील दत्त ने उन्हें टोका था कि वहीदाजी, आप क्या गजब कर रही हैं, हम फिल्मी लोगों को अपनी असली उम्र छिपानी पड़ती है! वहीदा ही नहीं, उनकी सहेली आशा पारेख भी अपने सफेद बालों के साथ ग्रेसफुल बनी हुई है.

आंखें वैसी ही बड़ी-बड़ी हैं जैसी ‘सीआईडी’, ‘सोलहवां साल’ या ‘प्यासा’ में नजर आती थीं. अलबत्ता उनमें थोड़ी उम्रदराजी झलक आई है. वहीदा के मेंटर थे गुरुदत्त, जो उन्हें खोजकर लाए थे और उनकी प्रतिभा तराशकर उन्हें ‘चौदहवीं का चांद’ बना दिया. वहीदा रहमान ने दिलीप कुमार के साथ आदमी, दिल दिया दर्द लिया व मशाल जैसी फिल्मों में संजीदगी वाली भूमिकाएं कीं.

देव आनंद के साथ उनकी रोमांटिक जोड़ी ‘काला बाजार’, ‘बात एक रात की’ से आगे बढ़ते हुए ‘गाइड’ तक पहुंची. इसमें वहीदा अपने शाहू) को तमाचा मारकर राजू गाइड के साथ सहजीवन अपना लेती हैं. उस वक्त के लिहाज से यह काफी प्रोग्रेसिव फिल्म थी. उसका गीत था- कांटों से खींच के ये आंचल, तोड़ के बंधन बांधी पायल. धर्मेन्द्र, मनोजकुमार और अमिताभ बच्चन के साथ भी उन्होंने फिल्में की. देर से ही सही, ‘कागज के फूल’ की इस प्रतिभाशाली अभिनेत्री को फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान मिलने जा रहा है.