नवभारत विशेष

Published: Jul 13, 2021 11:05 AM IST

नवभारत विशेषमहाराष्ट्र के सहकारिता आंदोलन में केंद्र की दखलंदाजी नहीं

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
File Photo

सहकारिता का उद्देश्य बहुत अच्छा रहा है. गुजरात में वर्गीज कुरियन द्वारा शुरू की गई अमूल डेयरी तथा महाराष्ट्र के शक्कर कारखाने व सहकारी समितियां इसकी मिसाल हैं. इसके बावजूद सहकार के नाम पर भ्रष्टाचार होने के अनेक मामले भी सामने आते रहे. को-ऑपरेटिव बैंकों का घोटाला उन्हीं के संचालकों व उनके निकटवर्तियों ने किया.

केंद्र सरकार ने नया सहकारिता मंत्रालय बनाया है, जिसकी जिम्मेदारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दी गई है. कुछ क्षेत्रों की राय है कि इसके जरिए केंद्र सरकार महाराष्ट्र के सहकारी आंदोलन पर कब्जा जमाने की कोशिश करेगी. इस शंका का निर्मूलन करते हुए एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि केंद्र को महाराष्ट्र के सहकारिता कानून में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. केंद्र के इस मंत्रालय से राज्य का सहकारिता आंदोलन प्रभावित नहीं होगा.

महाराष्ट्र विधानसभा में पारित सहकार कानून में केंद्र कोई दखलंदाजी नहीं कर सकता. केंद्र सरकार का सहकारिता मंत्रालय बहुराज्यीय सहकारी संस्थानों को लेकर बनाया गया है, जैसे कि कई को-ऑपरेटिव संस्थान महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे 2 राज्यों में पंजीकृत हैं. ऐसी हालत में 2 राज्यों में काम करने वाले सहकारी संस्थानों का नियंत्रण कोई एक राज्य नहीं कर सकता. इस स्थिति में केंद्र सरकार के सहकारिता विभाग को फैसला लेने का अधिकार है.