संपादकीय

Published: Feb 29, 2020 09:59 AM IST

संपादकीयसरकार को अधिकार, पर इसी समय क्यों, जज के ट्रांस्फर से उठते सवाल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

दिल्ली हाईकोर्ट के जज एस मुरलीधरन को आधी रात को ट्रांस्फर का आर्डर दे दिया गया. उन्हें हरियाणा व पंजाब हाईकोर्ट शिफ्ट किया गया. बेशक, किसी जज का तबादला करने का सरकार को पूरा अधिकार है परंतु यह ट्रांस्फर इसी समय क्यों किया गया? इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं तथा इस मुद्दे ने राजनीतिक रूप ले लिया है. जज मुरलीधरन ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया था कि उसने बीजेपी के 3 नेताओं के खिलाफ भड़काने वाली हेट स्पीच देने पर मामला क्यों नहीं दर्ज किया था? उन्होंने पुलिस आयुक्त को अपने सामने तलब किया था. विपक्ष ने जज मुरलीधरन के तबादले को शर्मनाक बताया जबकि केंद्र सरकार व बीजेपी ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए रूटीन ट्रांस्फर को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया.

कांग्रेस ने जज के अचानक तबादले को बदले की भावना से किया गया बताकर सरकार की आलोचना की और कहा कि इससे मोदी सरकार की धमकाने वाली और प्रतिशोध की राजनीति का भंडाफोड़ हो गया है. सरकार संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट करने पर तुली है. प्रियंका गांधी वाड्रा ने जज के तबादले को लज्जाजनक करार दिया जबकि राहुल गांधी ने दिल्ली वालों से उकसावे के बीच संयम बरतने की अपील की. माकपा ने मांग की कि जज मुरलीधरन का ट्रांस्फर आर्डर फिलहाल स्थगित रखा जाए ताकि जनता का विश्वास कायम रहे. पार्टी ने कहा कि यद्यपि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश पर जज का तबादला किया जाता है लेकिन जल्दबाजी में किया गया ट्रांस्फर चयनात्मक या जानबूझकर किया प्रतीत होता है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि जज मुरलीधरन के तबादले की सिफारिश 12 फरवरी को ही की जा चुकी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि एक नियमित स्थानांतरण का राजनीतिकरण करके कांग्रेस ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह न्यायपालिका का कितना सम्मान करती है. भारत के लोगों ने कांग्रेस को नकार दिया है, यही वजह है कि वह लगातार हमले करके संवैधानिक संस्थानों को तबाह करने पर आमादा है. उसकी नजरों में न्यायपालिका के प्रति सम्मान नहीं है.