संपादकीय

Published: Mar 30, 2024 11:32 AM IST

संपादकीय ED के दबाव में दलबदल, RSS को अखर गई BJP की विस्तार नीति

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

क्या अन्य दलों के नेताओं को अपने खेमे में लाने की संगठन आरएसएस (RSS) नाराज है? विपक्षी पार्टियों के भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे कितने ही नेता जांच एजेंसियों (ED) के कोप से बचने के लिए बीजेपी (BJP) में शामिल हो जाते हैं। बीजेपी अपने विस्तार और विपक्ष मुक्त भारत बनाने का ध्येय रखकर यह सब करवा रही है। विपक्ष के घोटालेबाज नेताओं के लिए बीजेपी शरणस्थली बन गई है। उसने अपने अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद और राजीव चंद्रशेखर जैसे वरिष्ठ नेताओं की समिति बनाकर उसे काम सौंप दिया है कि यूपी, बिहार, द। भारत से वहां की क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं को बीजेपी में शामिल कराएं, एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य पार्टियों के 80,000 नेता-कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।

तात्पर्य यह कि आम चुनाव के पूर्व एक बड़ी भीड़ बीजेपी में आ रही है। संघ दूरगामी सोच रखता है। वह पार्टी का विस्तार करने वाली बीजेपी की इस आयाराम गयाराम वाली नीति से खुश नहीं है। वर्तमान में जिस तरह से बीजेपी घनघोर राजनीतिक अभियान चला रही है, उस पर संघ बहुत करीबी नजर रख रहा है। आरएसएस अगले वर्ष 2025 में अपना शताब्दी वर्ष चाहते। मनाएगा। उसके अपने आदर्श, सिद्धांत और लक्ष्य हैं। यद्यपि मोदी सरकार के रहते अनुच्छेद 370 की समाप्ति, राममंदिर का निर्माण जैसे लक्ष्य पूरे हुए हैं। आगे चलकर सीएए व यूसीसी की दिशा में भी बढ़ा जाएगा। यह सारा काम संघ की विचारधारा के अनुरूप हो रहा है, फिर भी बीजेपी के जो कदम उसे नहीं जंच रहे हैं, उस ओर संघ संकेत कर रहा है।

सरसंघचालक मोहन भागवत ने राजनीति की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो लोग एक दल से दूसरे दल में जाते हैं, उन्हें ईडी और पुलिस के भय से ऐसा करने की बजाय मन और विवेक से फैसला करना चाहिए। मुंबई में लोकमान्य सेवा संघ के वार्षिकोत्सव में भागवत ने कहा कि आचरण में बदलाव सड़कों पर पुलिस के खड़े होने या ईडी के छापे से बचने के कारण भी हो सकता है लेकिन हम यह नहीं चाहते। आचरण में बदलाव मन से होना चाहिए और बुद्धि को उसे स्वीकार करना चाहिए। सत्ता के अधिक ताकतवर होने से उत्पन्न होने वाले खतरे पर भी भागवत ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां किसी राजा को निरंकुश शासन के कारण पद से हटने के लिए विवश होना पड़ा। भागवत ने सादगी, मितव्ययिता और स्वदेशी का भी संदेश दिया।

सरसंघचालक मोहन भागवत ने राजनीति की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो लोग एक दल से दूसरे दल में जाते हैं, उन्हें ईडी और पुलिस के भय से ऐसा करने की बजाय मन और विवेक से फैसला करना चाहिए, मुंबई में लोकमान्य सेवा संघ के वार्षिकोत्सव में भागवत ने कहा कि आचरण में बदलाव सड़कों पर पुलिस के खड़े होने या ईडी के छापे से बचने के कारण भी हो सकता है लेकिन हम यह नहीं चाहते।