संपादकीय

Published: Aug 30, 2022 03:02 PM IST

संपादकीय12वीं का रिजल्ट फार्मूला, CBSE की मनमानी पर हाईकोर्ट नाराज

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

जब सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) अपने ही जारी किए हुए परिपत्र को मनमाने तौर पर बदल दे तो यह विद्यार्थियों से विश्वासघात नहीं तो और क्या है? सीबीएसई ने 5 जुलाई 2021 को परिपत्र जारी किया था कि शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में 12वीं कक्षा के प्रथम सत्र तथा द्वितीय सत्र की परीक्षाओं को 50-50 प्रतिशत का समान महत्व दिया जाएगा लेकिन नतीजों की घोषणा से एक दिन पहले बोर्ड ने 21 जुलाई 2022 को अंकों का निर्धारण फार्मूला 30-70 प्रतिशत रखने की सिफारिश कर दी, इससे परीक्षा परिणाम प्रभावित हुए.

जिन छात्रों ने पहले सेमेस्टर में अच्छी तरह परफार्म किया था, उनके अंक घट गए क्योंकि द्वितीय सत्र की परीक्षा में 70 प्रतिशत का अंक फार्मूला कर दिया गया. दिल्ली हाईकोर्ट ने 12वीं कक्षा के छात्रों को अंधेरे में रखने और उन्हें अंक प्रतिशत के निर्धारण के बारे में पहले से जानकारी नहीं देने के लिए बोर्ड की जमकर खिंचाई की. हाईकोर्ट ने कहा कि बोर्ड की ओर से चूक की गई और उदासीन रवैया अपनाया गया. यह दौड़ खत्म हो जाने के बाद दौड़ के नियमों को बदलने के समान है व पूरी तरह मनमाना है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है जिससे पता चलता है कि सीबीएसई के सक्षम प्राधिकरण या अध्यक्ष द्वारा पारित ऐसा कोई आदेश नए अंक प्रतिशत के फार्मूले के संबंध में सिफारिश को स्वीकार, लागू या अधिसूचित करता हो.

कोर्ट ने एक छात्रा की याचिका पर फैसला दिया जिसने बोर्ड द्वारा घोषित 12वीं कक्षा के अपने परिणाम को चुनौती दी थी. छात्रा ने जुलाई 2021 के परिपत्र के मुताबिक नतीजा घोषित करने का अनुरोध किया था जिसमें प्रथम सत्र और द्वितीय सत्र के लिए थ्योरी के पेपर को समान महत्व देने की बात कही गई थी. बोर्ड के मनमाने फैसले की वजह से छात्रों पर अन्याय हुआ. खराब परीक्षाफल घोषित होने के बाद पीएम मोदी को सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा कि हजारों छात्र इस परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने दिलासा देते हुए कहा था कि इसे छात्र जीवन का अंतिम परिणाम न मानें.