संपादकीय

Published: Nov 15, 2022 03:14 PM IST

संपादकीयपूर्व CJI ललित की राय, जजों की नियुक्ति सरकार नहीं, कॉलेजियम ही करे

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

सेवानिवृत्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अधिक मुखर व स्पष्टवादी होते देखे गए हैं. केवल 74 दिन इस पद पर रहकर रिटायर हुए पूर्व सीजेआई यूयू ललित (Former CJI Uday Umesh Lalit) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) कॉलेजियम द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रणाली को बिल्कुल उचित व संतुलित बताया. उन्होंने कहा कि कॉलेजियम सरकार समेत कई स्तरों पर समीक्षा के बाद ही जजों की नियुक्ति को मंजूरी देता है. हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री ने कॉलेजियम सिस्टम को अपारदर्शी बताया था और कहा था कि न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति सरकार का अधिकार है तथा दुनिया के किसी देश में जज ही जजों की नियुक्ति नहीं किया करते.

सरकार इस मामले में खामोश नहीं रहेगी. जस्टिस ललित ने कहा कि देश की अदालतों में मामलों के भारी बैकलाग को कम करने के लिए इस पूरी प्रक्रिया में सरकार और कॉलेजियम के बीच संवाद होना चाहिए. यह तथ्य है कि सुप्रीम कोर्ट में 38,000 एडमिशन मैटर सुनवाई के लिए तैयार हैं तथा 19,000 नियमित सुनवाई के मामले हैं. सुप्रीम कोर्ट के लगभग 30 जज मामलों की सुनवाई के लिए कोर्ट स्टाफ पर अवलंबित हैं. जस्टिस ललित ने कहा कि सुनवाई के लिए तैयार मामलों को अकारण ही बकाया (पेंडिंग) रखा जाता है. लिस्टिंग सिस्टम में सुधार की जरूरत है.

जहां तक सरकार के रुख का सवाल है, वह जजों की नियुक्ति के लिए एनजेएसी प्रणाली के पक्ष में है. 2015 में सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जजों की नियुक्ति की इस प्रणाली को लाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था. कॉलेजियम प्रणाली के पक्षधर एनजेएसी के खिलाफ हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे जजों की नियुक्ति में सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा. एनजेएसी में 6 सदस्यों का प्रावधान था जिनमें सीजेआई, 2 वरिष्ठतम सुप्रीम कोर्ट जज, केंद्रीय कानून मंत्री तथा 2 जानेमाने नागरिकों का समावेश था.

प्रधानमंत्री सीजेआई और विपक्ष के नेता का पैनल एनजेएसी की नियुक्ति करनेवाले थे. जस्टिस ललित ने यह विचार भी व्यक्त किया कि देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद ग्रहण करने के बाद किसी भी व्यक्ति को सेवानिवृत्ति के बाद राज्यसभा का मनोनीत सदस्य या राज्यपाल बनाना उचित नहीं है. वे पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के राज्यसभा में नामांकित किए जाने पर अपनी राय दे रहे थे.