संपादकीय

Published: Apr 10, 2023 02:59 PM IST

संपादकीयअदानी घोटाले की जांच शरद पवार JPC को लेकर अड़चन में

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

अदानी मामले को लेकर विपक्ष की लगातार जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) द्वारा जांच कराए जाने की मांग को एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने व्यर्थ बताया है जिससे विपक्षी एकता की धार कुंद हो गई है. पवार के इस रूख से कांग्रेस भी सोच में पड़ गई है कि क्या पवार बीजेपी और मोदी सरकार के प्रति नरम पड़ गए हैं? यदि ऐसा है तो क्यों? पवार अपने वक्तव्यों और भाषणों से अपने समर्थकों और विरोधियों दोनों को असमंजस में डालते हैं. उनकी मंशा समझ पाना आसान नहीं है. क्या वे अपना महत्व बनाए रखने के लिए ऐसा करते हैं अथवा कांग्रेस के लिए मुसीबतें खड़ी करने के लिए? वे कांग्रेस के साथ रहना भी चाहते हैं और उसके लिए दिक्कतें पैदा करने में पीछे भी नहीं रहते.

पवार अदानी समूह के समर्थन में भी दृढ़ता से सामने आए और इस ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट की आलोचना की. उन्होंने जेपीसी को लेकर कांग्रेस की एक तरफा मांग को लेकर कहा कि वे महाराष्ट्र के अपने सहयोगी दल कांग्रेस के विचारों के साथ नहीं हैं. एनसीपी ऐसा दूसरा विपक्षी दल है जो अदानी मामले पर जेपीसी की जगह सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली जांच की पैरवी कर रहा है. इससे पहले ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने भी ऐसी मांग की थी.

पवार का बयान ऐसे समय सामने आया है जब लगभग 20 विपक्षी दल अदानी के मामले को लेकर सरकार पर लगातार हमलावर हैं और जेपीसी गठन की मांग कर रहे हैं. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि केवल जेपीसी जांच ही अदानी घोटाले कमा पर्दाफाश कर सकेगी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि पवार का विचार चाहे जो भी हो, सिर्फ जेपीसी ही घोटाले की जांच कर सकती है. शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) के सांसद संजय राऊत ने कहा कि पवार ने सिर्फ विकल्पो का सुझाव दिया. महाविकास आघाड़ी में कोई दरार नहीं है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि जो नेता व दल अदानी का विरोध कर रहे हैं उन्हें पवार की टिप्पणी पर ध्यान देना चाहिए.

पवार बहुत वरिष्ठ नेता हैं और अवश्य ही उन्होंने काफी अध्ययन के बाद अदानी मुद्दे पर राय व्यक्त की होगी. शरद पवार ने खुद अपना रूख स्पष्ट करते हुए कहा कि जेपीसी में 21 सदस्य रहते हैं. इनमें से 15 एनडीए के रहेंगे तथा 6 सदस्य विपक्ष के रहेंगे. इस असंतुलन के रहते जांच का नतीजा क्या निकलेगा, इसे लेकर संदेह है. जेपीसी का फैसला बहुमत के आधार पर होता है. जेपीसी की तुलना में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ज्यादा सक्षम और नतीजे देनेवाली होगी. बीजेपी की मेजारिटी देखते हुए जेपीसी से कुछ नहीं होने वाला. पवार के रूख से बीजेपी को बल मिलेगा लेकिन विपक्ष के बाकी दल इसे लेकर अचंभित हैं.