संपादकीय

Published: May 12, 2022 02:52 PM IST

संपादकीयदेश के 10 राज्यों में हिंदुओं पर अन्याय

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

भारत के 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं लेकिन फिर भी वहां अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली सुविधाओं व योजनाओं का लाभ यदि बहुसंख्यक समुदायों को दिया जा रहा है तो इस त्रुटि के लिए जिम्मेदार कौन है? बीजेपी नेता व वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर डाल दी. न्यायमूर्ति एसके कौल व न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने का अधिकार केंद्र के पास है.

हमें यह नहीं समझ आ रहा कि केंद्र सरकार तय नहीं कर पा रही कि उसे क्या करना है. ये ऐसे मामले हैं जिनके समाधान की जरूरत है और हर चीज पर फैसला नहीं सुनाया जा सकता. ये सब विचार पहले ही दिए जाने थे. इससे अनिश्चितता पैदा होती है और अदालत के विचार किए जाने से पहले चीजें सार्वजनिक मंच पर आ जाती हैं. इससे एक और समस्या खड़ी हो जाती है. यह कहना समाधान नहीं हो सकता कि सब कुछ इतना जटिल है. भारत सरकार इस तरह का जवाब नहीं दे सकती. राज्य स्तर पर हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों की पहचान से जुड़े मामले का समाधान किए जाने की जरूरत है. इस मामले में अलग-अलग रुख अपनाने से कोई फायदा नहीं होगा.

सुप्रीम कोर्ट का यही संकेत है कि नीतिगत फैसलों के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है. देश के विभिन्न राज्यों में कहीं मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं तो कहीं हिंदू अल्पसंख्यक. मोटे तौर पिछले कई दशकों से मुस्लिमों के लिए ‘अल्पसंख्यक’ शब्द पहचान के रूप में प्रचलित कर दिया गया है, जबकि कई राज्य ऐसे हैं जहां हिंदू आबादी अल्पसंख्यक बनी हुई है. जब कानून में अल्पसंख्यकों की भलाई के लिए योजनाएं तय हैं तो जिस राज्य में जो समुदाय अल्पसंख्यक हो, उसको इसका लाभ मिलना चाहिए. यह देखना सरकार का काम है. किसी समुदाय को उसकी आबादी के लिहाज से ही अल्पसंख्यक माना जा सकता है.