संपादकीय

Published: Apr 05, 2023 03:13 PM IST

संपादकीय31,000 से ज्यादा नमूने फेल, सरकारी राशन में हो रही भारी मिलावट

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

गहरी चिंता का विषय है कि बड़े कानून और जांच एजेंसियों की निगरानी के बावजूद मिलावट की समस्या निरंतर गहराती चली जा रही है. खोटी नीयत रख बेईमानी से पैसा कमानेवालों की देश में कमी नहीं है. ऐसे तत्व जनता को सिर्फ धोखा ही नहीं देते बल्कि उसके स्वास्थ्य से गंभीर खिलवाड़ भी करते हैं. खाद्यान्न व औषधि प्रशासन की ओर से समय-समय पर की जानेवाली कार्रवाई के बावजूद खाद्य तेल, पिसी मिर्च, मसाले, बेसन, काली मिर्च, शहद आदि कितनी ही जिन्सों में मिलावट की जाती है.

घातक रसायनों और रंगों का भी इस्तेमाल किया जाता है. अब यह तथ्य सामने आया है कि सरकारी दूकानों से मिलनेवाले राशन में भी बड़े पैमाने पर मिलावट की जा रही है. केंद्रीय खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार समूचे देश भर में सरकारी राशन दूकानों से 1,65,356 राशन के नमूने लिए गए. इनमें से 31,592 नमूने फेल हो गए. आखिर ऐसा क्यों हुआ होगा? लोगों को राशन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकार के अधीन आती है जिसके लिए सरकारी गल्ले की दूकानों का प्रावधान है.

अधिकारियों का दावा है कि सरकारी राशन दूकानों पर केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जानेवाला राशन अलग-अलग अधिकारियों और जांच करनेवाले जिम्मेदार लोगों की नजरों से गुजरता है. यदि ऐसी बात है तो मिलावट कहां और किस स्तर पर हुई? आम जनता को अनुभव है कि राशन में अच्छे किस्म का गेहूं या चावल नहीं मिलता और उसमें मिट्टी व कंकड़ भी आते हैं. सरकार के गोदामों में ऊंची क्वालिटी का भी अनाज आता है लेकिन लगता है कि वह सामान्य जनता तक न पहुंचकर खुले बाजार में पहुंच जाता है. क्या व्यापारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा होता है?

केंद्रीय खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक यह मिलावट सरकारी गल्ले की दूकान चलानेवाले लोगों की ओर से हो रही है. वे अच्छे अनाज को रफा-दफा कर राशन के अनाज में हल्के या घटिया किस्म का खाद्यान्न, भूसा, वजन बढ़ाने के लिए मिट्टी कंकड़ आदि मिक्स कर देते हैं. यदि दाल दी जाती है तो उसमें सस्ते किस्म की दाल मिला दी जाती है. गरीब जनता की मजबूरी और अज्ञान का ऐसे लोग गलत फायदा उठाते हैं.

अब तो प्रधानमंत्री की खाद्यान्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ से ज्यादा गरीबों को मुफ्त अनाज मुहैया कराया जा रहा है. ऐसे में अनाज का गुणवत्ता भी ठीक रहनी चाहिए. अधिकारियों और राशन दूकानदारों को पूरी सतर्कता बरतनी होगी कि घटिया, मिलावटी और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह अनाज लोगों को न दिया जाए. राशन में दिए जा रहे खाद्यान्न के 31,000 से ज्यादा नमूने जांच में फेल हो जाना दर्शाता है कि दीया तले अंधेरा जैसी स्थिति बनी हुई है. ऐसा हरगिज नहीं होना चाहिए.