संपादकीय

Published: Nov 22, 2022 03:06 PM IST

संपादकीयआतंक तो सिर्फ आतंक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

आतंकवाद को यदि एक शब्द में परिभाषित करना हो तो कहा जा सकता है कि शक्ति के बल पर दूसरों पर धौंस जमा कर अपना आधिपत्य स्वीकारने को विवश करने की जिद. पूरे विश्व में अगर आज कोई विकराल समस्या है तो वह है आतंकवाद. भारत से अधिक इसका दंश किसने झेला होगा. मुंबई हमला हो या उधमपुर ब्लास्ट , कश्मीर में लगातार पाकिस्तानी खुराफातें और देश के भीतर स्लीपर सेल की मदद से दंगे फसाद और खूनखराबे को अंजाम देना, भारत ने हर बार ऐसी हरकतों का माकूल जवाब दिया है, किंतु अब वक्त आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ऐसे तत्वों को बेनकाब किया जाए.

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बहुत ही सटीक शब्दों में पाकिस्तान और उसके खैरख्वाह चीन की खबर ली. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व के सभी देशों को आतंकवाद का सामना एकजुट होकर करना चाहिए, इसके बीच कोई राजनीतिक मतभेद न आएं. उन्होंने कहा कि आतंक तो आतंक है. राजनीतिक पैंतरेबाजी से इसे सही नहीं ठहराया जा सकता. जयशंकर का परोक्ष रूप से इशारा शहबाज शरीफ की ओर ही था जिन्होंने हाल ही में यूएन में आतंकवाद का रोना रोते हुए खुद के मुल्क को आतंक से पीड़ित बताया था.

मगरमच्छ के आंसुओं को निकाल वे कश्मीर का रोना रोते रहे, जबकि आए दिन कश्मीर में घुसपैठ करवा कर, ड्रोन के जरिए हथियारों की खेप भेज कर पाकिस्तान भारत के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है, वहीं उसका आका चीन, जो वहां की योजनाओं में पूंजी निवेश कर उसके जरिए साम्राज्यवादी लिप्सा को पूरा करने की मंशा रखता है, अपने निहित स्वार्थों के लिए पाकिस्तान को शह दे रहा है और स्वयं भी लद्दाख सहित अरुणाचल में कब्जे की तमाम कोशिशों में लगा हुआ है, उसे भी जयशकंर ने कंबल में लपेट कर धोया है. जयशंकर की चिंता यह यह भी है कि फेक चैरिटी और फेक एनजीओ भी टेरर फंडिंग का जरिया बन चुके हैं. सामरिक ही नहीं, आर्थिक मोर्चे पर भी ऐसे हथकंडों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने की आवश्यकता है.