संपादकीय

Published: May 11, 2022 01:38 PM IST

संपादकीयसत्ता परिवर्तन के साथ, पंजाब में फिर आतंकी सक्रिय

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

सीमावर्ती राज्य पंजाब में जिस अलगाववाद को दशकों पहले सख्ती से कुचल दिया गया था, वह अब फिर सिर उठाता नजर आता है. ड्रग्स, हथियारों की तस्करी व आतंकवाद का आपस में सीधा संबंध है और इसके तार सीमा पार से जुड़े हुए हैं. जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की मुस्तैदी की वजह से आतंकियों के हौसले पस्त होने लगे तो उन्होंने पंजाब की ओर रुख किया. पंजाब में कितने ही वर्षों से नशीले पदार्थों की तस्करी की समस्या रही है. नशेड़ी बन जाने के बाद युवकों की स्टैमिना कम हो जाती है और वे पुलिस व फौज में भर्ती लायक नहीं रह जाते.

पंजाब को नशे की गिरफ्त में लाने की विदेशी साजिश लंबे समय से जारी है. खालिस्तान आंदोलन को भी कनाडा और ब्रिटेन में बैठी भारत विरोधी ताकतों द्वारा चलाया जा रहा था. अब तो ड्रोन का इस्तेमाल कर हथियार या पर्चे गिराने की घटनाएं भी होने लगी हैं. पंजाब में अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की मजबूत सरकार थी लेकिन पार्टी ने नेतृत्व परिवर्तन कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी. चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाना किसी काम नहीं आया. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हारी और ‘आप’ ने जीत हासिल की. सत्ता परिवर्तन के साथ ही पंजाब में आतंकी सक्रिय हो गए.

यह सचमुच सनसनीखेज है कि पंजाब के मोहाली में इंटेलिजेंस विभाग की बिल्डिंग पर धमाकेदार रॉकेट हमला हुआ. इसे ‘आरपीजी’ कहा जाता है जो कंधे से दागा जानेवाला मिसाइल हथियार है और ज्यादातर टैंक रोधी हथियार के रूप में उपयोग किया जाता है. इसके पहले पंजाब के बुडैल जेल के पास विस्फोटक सामग्री बरामद हुई थी. या तो आतंकियों को लगता है कि भगवंत मान की नई सरकार उतनी मजबूत नहीं है और उस पर दबाव बनाया जा सकता है अथवा यह भी हो सकता है कि खालिस्तान समर्थक तत्व फिर सक्रिय हो गए हों.

उल्लेखनीय है कि कवि कुमार विश्वास ने आरोप लगाया था कि अरविंद केजरीवाल ने उनसे एक बार कहा था कि या तो मैं किसी राज्य का मुखिया या देश का प्रमुख बनूंगा. उन्होंने केजरीवाल के खालिस्तानियों से संबंधों की बात कही थी.