संपादकीय

Published: Jun 03, 2020 09:47 AM IST

संपादकीयअंतत: समझा किसानों का दर्द

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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हमारे कृषिप्रधान देश की बहुत बड़ी आबादी खेती-किसानी पर ही निर्भर है।इतने पर भी कृषि को कभी उद्योग का दर्जा नहीं दिया गया।किसान कठोर परिश्रम के बावजूद संकट से जूझते रहे।कभी अतिवृष्टि तो कभी अकाल जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने उनके किए-कराए पर पानी फेर दिया और जब फसल अच्छी हुई तो उचित दाम नहीं मिले।प्रधानमंत्री मोदी ने आखिर किसानों का दर्द समझा।सरकार की घोषणाओं से 66 करोड़ लोगों को फायदा होगा जिनमें 55 करोड़ ऐसे लोग हैं जो कृषि पर निर्भर हैं।सरकार ने किसानों के हित में उपज का समर्थन मूल्य बढ़ाकर डेढ़ गुना किया है।अब धान का समर्थन मूल्य 1868 रु।प्रति क्विंटल, ज्वार का 2,620 रु।क्विंटल, बाजरे का 2,150 रु।क्विंटल कर दिया गया है।रागी, मूंग, मूंगफली, तिल, कपास व सोयाबीन के समर्थन मूल्य में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।इससे एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखा गया है।इसके पूर्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि विपणन को आसान बनाने और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत स्टॉक सीमा हटाने के लिए 3 उपायों की भी घोषणा की थी, यह एक ऐसा कदम है, जो प्रसंस्करण उद्योग और थोक व्यापार में मदद करेगा।व्यापारी अब जमाखोरी नहीं कर सकेंगे।किसानों को अपनी उपज बाजार में उपलब्ध कराने के लिए कई विकल्प प्रदान करने वाला एक केंद्रीय कानून और अनुबंध खेती की सुविधा प्रदान करने के लिए कानून शीघ्र ही लाया जाएगा।फसल कटाई के बाद कोल्ड स्टोरेज श्रृंखला जैसे बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए एक लाख करोड़ रुपए का फंड उपलब्ध कराया गया है।यह तथ्य है कि लगभग 70 दिनों से होटल, रेस्टोरेंट व ढाबे बंद रहने से शहरी मांग घट गई है जिसका कृषि को भारी खामियाजा उठाना पड़ा है।किसानों को सड़कों पर दूध बहाना पड़ा।सब्जी उत्पादकों को 25,000 करोड़ रुपए, दुग्ध उत्पादकों को 10,000 करोड़ रुपए, फूल व फल उत्पादकों, नर्सरीवालों को भी बहुत नुकसान झेलना पड़ा।मनरेगा के लिए 40,000 करोड़ का आवंटन एक सही कदम है।ये काम तत्काल शुरू कर प्रवासी मजदूरों को रोजगार देना चाहिए।यह अतिरिक्त कार्यबल खेती में समायोजित किया जा सकता है।किसानों को बीज और खाद के लिए नकद रकम प्रदान करना उपयुक्त रहेगा।उन्हें समर्थन मूल्य वृद्धि के अलावा बोनस भी दिया जाना उचित होगा।