संपादकीय

Published: May 29, 2023 03:05 PM IST

संपादकीयराष्ट्र की समृद्धि का मैप, पहली बार 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मुंह फेरा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

विरोध वहीं तक ठीक रहता है जब तक कि वह आत्मघाती न बन जाए. खुद को नुकसान पहुंचा कर विरोध करने में कौन सा तुक है? नीति आयोग समूचे देश के राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में विकास की योजना बनाता है इस प्रकार यह सभी के लिए उपयोगी या लाभप्रद है. इसमें राज्य अपनी जरूरतें, मांगें व पक्ष रख सकते हैं फिर नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार क्यों होना चाहिए? आश्चर्य की बात है कि नीति आयोग की संचालन समिति (जीसीएम) की बैठक राजनीति की भेंट चढ़ गई. इसमें देश में 11 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए. अनुपस्थित रहनेवालों में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के भगवंत मान, बंगाल की ममता बनर्जी, बिहार के नीतीश कुमार, तेलंगाना के चंद्रशेखर राव, राजस्थान के अशोक गहलोत, केरल के पिनराई विजयन, तमिलनाडु के एमके स्टालिन, कर्नाटक के सिद्धारमैया, मणिपुर के बीरेन सिंह व ओडिशा के नवीन पटनायक का समावेश था. नीति आयोग की संचालन परिषद की पूर्ण बैठक हर साल होती है. इस बार भी बैठक में भारत को 2047 तक समृद्ध और विकसित देश बनाने के लिए स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे के विकास सहित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया. बीजेपी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्री नहीं आए. जो सीएम नहीं आए, वे अपने प्रदेश की जनता की आवाज यहां तक नहीं ला रहे हैं. प्रसाद ने उन सभी मुख्यमंत्रियों से पूछा कि आखिर वे मोदी विरोध में कहां तक जाएंगे? मुख्यमंत्रियों का इतनी बड़ी तादाद में मुंह फेरना आश्चर्यजनक है लेकिन उनकी भी दलीलें थीं. सिद्धारमैया मंत्रिमंडल विस्तार के शपथ ग्रहण की वजह से दिल्ली नहीं जा सके. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान केंद्र द्वारा उनके राज्य को 3,600 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं करने के विरोध में नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए. नवीन पटनायक और विजयन के राज्यों में पहले से कार्यक्रम तय थे. ममता बनर्जी पहले ही बैठक में शामिल नहीं होने का निर्णय ले चुकी थीं. अशोक गहलोत स्वास्थ्य की खराबी के कारण नहीं आए. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बैठक में शामिल तो हुए लेकिन उन्होंने कहा कि जीएसटी से राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की भरपाई की स्थायी व्यवस्था हो. केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों का सम्मान करे और उनके हिस्से के संसाधनों को सम्मानपूर्वक हस्तांतरित करने की प्रणाली को मजबूत बनाए. बैठक में नहीं आने को लेकर दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा कि केंद्र खुले तौर पर सहकारी संघवाद का मजाक उड़ा रहा है तो बैठक में शामिल होने का क्या फायदा? हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदरसिंह सुक्खू ने केंद्र से मांग की कि वह नई पेंशन स्कीम में राज्य सरकार द्वारा जमा कराई गई 9,242.60 करोड़ रुपए की रकम लौटाए. केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ते तनाव के बीच राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बड़े पैमाने पर अनुपस्थिति दिखा रही है कि राजनीतिक दरार बढ़ती चली जा रही है.