संपादकीय

Published: Jun 19, 2023 02:45 PM IST

संपादकीयपुलिसवालों की राजनीतिक पार्टी, अन्याय के खिलाफ न्याय मांगने बनाई

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

सरकारी सेवा नियमों व अनुशासन के तहत शासकीय नौकरी में रहते हुए कोई भी व्यक्ति न किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो सकता है और न खुलकर अपना राजनीतिक रुझान दिखा सकता है. अवकाश प्राप्ति या नौकरी छोड़ने के बाद वह ऐसा कर सकता है. छत्तीसगढ़ में पुलिसवालों ने अपनी पोलिटिकल पार्टी बना ली है. इस आजाद जनता पार्टी के अध्यक्ष उज्ज्वल दीवान फिलहाल धमतरी जिले में कांस्टेबल पद पर पोस्टेड हैं. उन्होंने 2021 में ही इस्तीफा दे दिया था जो अब तक मंजूर नहीं किया गया है. त्यागपत्र स्वीकृत होने के बाद वे चुनाव लड़ पाएंगे. दीवान इसके पहले पुलिस परिवार के आंदोलन का नेतृत्व कर चुके हैं. इस दौरान उनके खिलाफ कई मामले भी दर्ज हैं. उनका दावा है कि उनकी पार्टी को सफलता मिलेगी. वे लगातार पुलिसवालों से होनेवाले अन्याय के खिलाफ लड़ते आए हैं लेकिन अब उनका भरोसा किसी भी राजनीतिक दल पर नहीं रहा, इसलिए उन्होंने खुद की पार्टी खड़ी की है. राज्य के सभी पीड़ितों को न्याय दिलाना उनका मकसद होगा. आनेवाले दिनों में कई पीड़ित पुलिसकर्मी इस्तीफा देकर चुनाव लड़ेंगे. पुलिस मुख्यालय से निलंबित कांस्टेबल संजीव मिश्रा ने कहा कि वह गृहमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. इस पार्टी में कई डॉक्टर, वकील व अन्य प्रोफेशनल्स जुड़ गए हैं. पुलिसवालों की यह राजनीतिक पार्टी राज्य की 90 विधानसभा सीटों पर लड़ने की तैयारी में है. पुलिसवालों की बहुत सी समस्याएं होती हैं जिन पर शायद ही लोगों का ध्यान जाता है. उन्हें 12-12 घंटे काम करना पड़ता है. साप्ताहिक अवकाश नहीं मिलता. अपनी व्यस्तता के चलते वे परिवार व बच्चों के लिए समय नहीं दे पाते. त्योहारों के दिन वे घर से दूर अपनी ड्यूटी पर रहते हैं. अधिकांश पुलिस कर्मियों के क्वार्टर पुराने और असुविधाजनक हो गए हैं. उनका खाने-पीने व आराम का समय तय नहीं रहता. इसलिए उन्हें बीपी, शुगर तथा पेट संबंधी बीमारियां घेर लेती हैं. काम में थोड़ी भी त्रुटि हो जाए तो ऊपरवालों से डांट पड़ती है. अपराध का पता लगाने से ज्यादा नेताओं की सुरक्षा व बंदोबस्त ड्यूटी पर ध्यान देना पड़ता है. तबादले और पदोन्नति से संबंधित समस्याएं भी रहती हैं. पुलिस आयोग की सिफारिशें लागू नहीं की जातीं. कोई पुलिस कर्मी कितना भी ईमानदार क्यों न हो, लोग पुलिसवालों को रिश्वतखोर मानते है. वे यह नहीं देखते कि पुलिस है तभी तो जनता सुरक्षित है अन्यथा अपराधियों के हौसले बुलंद हो जाएं. पुलिस की सेवा शर्तों व कार्य स्थितियों में सुधार की आवश्यकता है. पीड़ित पुलिस कर्मियों को इसीलिए पार्टी बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.